Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म : फागण : २४९३
वरस्यो. बपोरे श्री जिनेन्द्रभगवंतो उपर अंकन्यास थया. गुरुदेवे पण जिनबिंबो उपर
भक्तिथी अंकन्यासना मंत्राक्षर लख्या. लगभग २प जिनबिंबोनी प्रतिष्ठा थई. बपोरे
केवळज्ञानकल्याणक तथा समवसरणनी रचना वगेरे थयुं. रात्रे भक्ति–भजन वगेरे
थयुं.
माह सुद १० नी सवारमां निर्वाणकल्याणक विधि थई. ते प्रसंगे सम्मेदशिखर
पर्वतनी रचना, तथा तेना उपर पार्श्वप्रभु शुक्लध्यानमां बिराजी रह्या छे ने
योगनिरोध करीने निर्वाण पामे छे, ईन्द्रो निर्वाणकल्याणकनो उत्सव उजवे छे, तथा
यात्रिको सम्मेदशिखर तीर्थनी यात्रा करे छे–ए बधा द्रश्यो जोतां आनंद थतो हतो. आ
रीते पार्श्वप्रभुना जयकारपूर्वक पंचकल्याणक पूर्ण थया. –ते जगतने मंगलरूप हो.
पंचकल्याणक पूर्ण थतां अत्यंत भक्तिपूर्वक धामधूमथी वाजतेगाजते
जिनभगवंतोने जिनमंदिरमां पधराव्या...ए प्रसंगना आनंदमेळानुं द्रश्य घणुं भव्य
हतुं. वीस हजार उपरांत माणसोनी भीड चारेकोर उभराती हती; हिंमतनगरनी
जनतानो मोटो भाग प्रभुप्रतिष्ठानो उत्सव जोवा उमट्यो हतो. मंगलप्रतिष्ठानी मंगल
घडी आवी, गुरुदेवे सुहस्ते मंगलस्वस्तिक कर्या ने पछी अत्यंत भक्तिपूर्वक प्रभुचरणने
हस्त लगावीने प्रतिष्ठानो प्रारंभ कर्यो. हजारो भक्तोना हर्षनादथी मंदिर गूंजी ऊठयुं,
मंगल वाजां वागवा मांड्यां, हेलिकोप्टरे पुष्पवृष्टि करीने आकाश गजावी मूक्युं.
लगभग बे कलाक सुधी आकाशमांथी जिनमंदिर उपर पुष्पवृष्टि थई, जुदा जुदा
भक्तजनो हेलिकोप्टरमां बेसीने पुष्पवृष्टि करता हता–ए द्रश्य देखीने वातावरण
उत्साहमय बनी जतुं हतुं. तेमांय ज्यारे पू. बेनश्री चंपाबेन अने पू. बेन शान्ताबेन
ए बंने पवित्र बहेनोए हेलिकोप्टरमां बेसीने आकाशमांथी जिनमंदिर उपर पुष्पवृष्टि
करी...त्यारे तो प्रभुना कल्याणक प्रसंगनी रत्नवृष्टिनां द्रश्यो ताजा थता होय–एम
भक्तो आनंदित थता हता. वीसथी पचीस हजार जेटला माणसोना अत्यंत
उल्लासभर्या वातावरण वच्चे जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा थई. मूळनायक भगवान
महावीर प्रभुनी प्रतिष्ठा झींझवाना भाईश्री पोपटलाल हाथीचंद तथा जांबुडीना
भाईश्री लीलाचंद पदमशीए (रूा. प३प०१ मां उछामणी लईने) करी हती. बाजुमां
श्री चंद्रप्रभ भगवाननी प्रतिष्ठा (रूा. १८प०१ मां उछामणी लईने) ननानपुरना
भाईश्री सोमचंद हेमचंदे करी हती; पद्मप्रभुनी प्रतिष्ठा (रूा. १८प०१ मां उछामणी
लईने) ननानपुरना भाईश्री छबालाल नेमचंदे करी हती. अने उपरना