Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 22 of 53

background image
: फागण : २४९३ आत्मधर्म : १९ :
खभे पालखी लईने शीघ्र आकाशमां चाल्या. अहा, भगवानना महिमानी शी वात! के
ए प्रसंगे देवोना अधिपति ईन्द्रे पोते पण भगवाननी पालखी खभे लीधी हती.
भगवान पालखीमां आरूढ थया ते वखते ईन्द्रना करोडो दुदुंभी वाजां वागता हता.
अद्भुत वैभवथी शोभता भगवान ऋषभदेव आखा जगतने आनंदित करता थका
अयोध्यापुरीनी बहार नीकळ्‌या...ते वखते वैराग्य भरेला तेमना नेत्रोनी चेष्टा अत्यंत
प्रशांत हती; असंग–वैराग्यदशाने शोभे एवी तेमना अंग–उपांगनी चेष्टा हती.
भगवान आ शुं करी रह्या छे ने दीक्षा एटले शुं? तेना अजाण प्रजाजनो
भगवानने प्रार्थना करता हता के–हे देव! आप आपनुं कार्य पूर्ण करीने वेलावेला
अमने दर्शन देवा पधारजो. प्रभो, आप महा उपकारी छो, हवे अमने छोडीने बीजा
कोनो उपकार करवा आप जई रह्या छो?
नगरजनो एकबीजा साथे वात करता हता के आ देवो भगवानने पालखीमां
क्यांक दूरदूर लई जाय छे, परंतु शा माटे लई जाय छे ते आपणे जाणतां नथी; कदाच
भगवाननी एवी ज कोई क्रीडा होय! अथवा, पहेलां तेमनो जन्मोत्सव करवा माटे
ईन्द्रो तेमने मेरु उपर लई गया हता ने पाछा आव्या हता,–एवो ज कोई प्रसंग फरीने
आपणा महाभाग्यथी बनतो होय!–तो ते कोई दुःखनी वात नथी. अहा, भगवानना
पुण्य कोई महान, वचनातीत छे. आवा आश्चर्यकारी द्रश्यो अमे कदी जोया नथी.
भगवान ज्यारथी आ पृथ्वी उपर अवतर्या छे त्यारथी अवारनवार देवोनुं आगमन
थया ज करे छे.
भगवान हवे संसारथी अत्यंत विरक्त थईने, राजवैभवने तरणां समान मानी
रह्या छे. मस्त हाथीनी माफक स्वतंत्रतानुं सुख प्राप्त करवा माटे भगवान हवे वनमां
प्रवेश करी रह्या छे. भगवाननी आ यात्रा तेमने सुख देनारी छे. तेओ वनमां रहेशे तो
पण सुख तेमने स्वाधीन छे. भगवाननो जय हो...भगवान विजय पामो...ने फरी
वहेला पधारीने अमारी रक्षा करो. आ रीते दीक्षा प्रसंगना जाणकार तेमज अजाण बधा
लोको भगवाननी स्तुति करता हता. तथा महात्मा भरत सोनुं हाथी घोडा वगेरेनुं
महान दान देता हता. यशस्वती, सुनंदा वगेरे स्त्रीओ तथा मंत्रीगण भगवाननी
पाछळ पाछळ जता हता ने तेमनी आंखमांथी आंसु वहेता हता. महाराजा नाभिराज
तथा माताजी मरुदेवी पण