Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 28 of 53

background image
: फागण : २४९३ आत्मधर्म : २प :
गुरुदेवनी साथे साथे
सोनगढ थी...........................जयपुर
जसदणमां वेदीप्रतिष्ठा, आंकडिया तथा हिंमतनगरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठाना
मंगलकार्यो करीने गुरुदेव माह सुद १२ना रोज सोनगढ पधार्या...ने सोनगढनी
शांतिनी सुगंध लईने बीजे दिवसे जयपुर–प्रतिष्ठा ने सम्मेदशिखरजी तीर्थनी यात्रा
माटे मंगल प्रस्थान कर्युं. (ता. २२ फेब्रुआरी) सवारमां ‘भावनगर मां प्रवेश कर्यो,
भक्तोए भावभीनुं स्वागत कर्युं. भावनगरना मंगलप्रवचनमां गुरुदेवे कह्युं के
आत्माना निर्मळ भावोरूपी जे नगरी, तेमां प्रवेश करवो ते मंगळ छे; ने एवा
चैतन्यभावनी जेने खबर नथी ते तो भान वगरना छे. भावनगरमां दिगंबर
जिनमंदिर प्राचीन छे, त्यां दर्शन–पूजन कर्या. तेमज मंडपमां (दशाश्रीमाळीना वंडामां)
पण सोनगढथी सीमंधरप्रभुजीने लावीने बिराजमान कर्या हता. तेमनी सन्मुख दर्शन–
पूजन–भक्ति थता हता, तथा रत्नत्रय–पूजन पण थयुं हतुं. सोनगढना सीमंधरनाथनी
पूजा वखते एम थतुं के, भक्तोना हृदयना भगवान तो भक्तोनी साथे ज होय ने!
(आ सीमंधरप्रभुनी प्रतिमा पू. बेनश्री–बेन तरफथी प्रतिष्ठित थयेल छे.) अहीं सं.
१९८६ मां (एटले ३७ वर्ष पहेलां) गुरुदेव पधारेला, ते वखतना केटलाय संस्मरणो
गुरुदेव ताजा करता हता; तेमां खास करीने पहेलवहेला एक दिगंबर साधुने जोवानो
प्रसंग अहीं बनेलो; तथा ते वखते गुरुदेवना प्रवचनो सांभळीने, पू. श्री चंपाबेन
(जेओ ते वखते मात्र १६–१७ वर्षना हता) तेओ घरे जईने ते प्रवचनो लखी लेता,
ने गुरुदेवे ते बेनने पहेलवहेलां अहीं जोया, जोतां ज तेमने लाग्युं के आ बेन कोई
अलौकिक लागे छे! –आ प्रसंगने गुरुदेव घणीवार खूब भावपूर्वक याद करे छे. ने
गुरुदेवनो ३७ वर्ष पहेलांनो ते आभास पू. बेनश्री चंपाबेने संपूर्ण सत्य सिद्ध कर्यो छे.
आवा तो बीजा घणाय पवित्र स्मरणो गुरुदेवने जागता हता. –ए भावनगरनी
विशेषता छे.
भावनगरना प्रवचनमां बे हजार जेटला भाई–बेनो प्रेमथी भाग लेता हता,
ने प्रवचन सांभळीने प्रसन्न थता हता. भावनगरनुं दैनिकपत्र ‘सौराष्ट्र समाचार’
गुरुदेवना प्रवचननो सार हंमेश प्रगट करतुं हतुं. शेठश्री वृजलालभाईए गुरुदेव