Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९३ आत्मधर्म : ३१ :
गतांकना प्रश्नोना उत्तर
(१) बंधायेल चारेकोर फरे,
ने छूटो एक ठेकाणे स्थिर रहे, –ते कोण?
तेनो जवाब ए छे के–जीव ज्यारे कर्मथी बंधायेलो होय छे त्यारे ते संसारमां
चारेकोर एटले के चारे गतिमां भमे छे, अने ज्यारे ते छूटे एटले के मोक्ष पामे त्यारे ते
सिद्धलोकमां सदा स्थिर रहे छे.
(२) चार अक्षरनुं शहेर ते –जयपुर
ते घणुं रळियामणुं छे, जैनधर्मनी जाहोजलालीथी भरपूर छे; मोक्षमार्ग प्रकाशकनी
रचना त्यां पं. टोडरमलजीए करी छे तेथी ते मोक्षमार्गप्रकाशकनी जन्मभूमि छे; तेमज
समयसारनी हिंदी टीका पण जयपुरना पं. जयचंदजीए करी छे तेथी तेनी पण ते जन्मभूमि
छे. आरसनी मूर्तिओ जयपुरमां बने छे तेथी सौराष्ट्रना जिनमंदिरोमां घणाखरा भगवंतो ते
नगरीमांथी आव्या छे. आ महिने त्यां पं. टोडरमलजी–स्मारकभवननुं उद्घाटन करवा माटे,
तथा सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा करवा माटे पू. गुरुदेव जयपुर पधार्या ने मोटा उत्सव द्वारा घणी
धर्मप्रभावना थई.–बंधुओ आवी जयपुरनगरी जरूर जोवा जेवी छे.
(३) २४ तीर्थंकरोमांथी ‘म’ उपर नामवाळा ३ भगवान छे–
मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ अने महावीर.
जवाब मोकलनार सभ्योने धन्यवाद!
जवाब मोकलनार सभ्योना नंबर
१०४९ ६४० ४३१ ४३२ ३२० प२९ ३२१ १प६प ३३९ ३७८ १३२१ ३७७ १८प०
७१० ७११ १६४८ ३२२ ८४६ १००२ ११७ ४० ३१ प८२ ४९ १७७१ ३४७ ३४६ ६६६
६६७ २६२ ७१४ ३६९ १००प १७७२ २७६ ६१९ १६६ ३९३ ३९२ ११७३ ९०९ ११६प
११६६ प३३ प३४ ३२० १४३४ १८२३.