ने छूटो एक ठेकाणे स्थिर रहे, –ते कोण?
तेनो जवाब ए छे के–जीव ज्यारे कर्मथी बंधायेलो होय छे त्यारे ते संसारमां
सिद्धलोकमां सदा स्थिर रहे छे.
ते घणुं रळियामणुं छे, जैनधर्मनी जाहोजलालीथी भरपूर छे; मोक्षमार्ग प्रकाशकनी
समयसारनी हिंदी टीका पण जयपुरना पं. जयचंदजीए करी छे तेथी तेनी पण ते जन्मभूमि
छे. आरसनी मूर्तिओ जयपुरमां बने छे तेथी सौराष्ट्रना जिनमंदिरोमां घणाखरा भगवंतो ते
नगरीमांथी आव्या छे. आ महिने त्यां पं. टोडरमलजी–स्मारकभवननुं उद्घाटन करवा माटे,
तथा सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा करवा माटे पू. गुरुदेव जयपुर पधार्या ने मोटा उत्सव द्वारा घणी
धर्मप्रभावना थई.–बंधुओ आवी जयपुरनगरी जरूर जोवा जेवी छे.
मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ अने महावीर.
जवाब मोकलनार सभ्योने धन्यवाद!
६६७ २६२ ७१४ ३६९ १००प १७७२ २७६ ६१९ १६६ ३९३ ३९२ ११७३ ९०९ ११६प
११६६ प३३ प३४ ३२० १४३४ १८२३.