Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 45 of 53

background image
: ४२ : आत्मधर्म : फागण : २४९३
भवनना उद्घाटननो आवो भव्य आनंदकारी उत्सव उजवायो तेनी खुशालीमां शेठश्री
पूरणचंदजी गोदिकाए टोडरमल–ग्रंथमाळामां रूा. प१,१११ (एकावन हजार एकसो
अगियार) जाहेर कर्या हता. आ उपरांत रूा. प००१) भाईश्री नवनीतभाई झवेरी
तरफथी जाहेर करवामां आव्या हता. बीजा सेंकडो भाईओए ग्रंथमाळाना फंडमां रकमो
जाहेर करी हती. अगाउ ४०,००० जेटली रकमनुं फंड थयुं हतुं आम कुल सवा लाख रूा.
उपरांत फंड थई गयुं हतुं. आ सिवाय उत्सव दरमियान हाथी वगेरेनी अनेकविध
उछामणीओमां जे आवक थई ते बधी पण ग्रंथमाळाना फंडमां लेवानुं जाहेर थयुं हतुं–
आम साहित्यप्रचार माटेनी एक महान भूमिका रचाई हती; ने भविष्यमां साहित्यक्षेत्रे
आ ग्रंथमाळा घणुं मोटुं काम करशे–एवी आशा छे.
फागण सुद त्रीजना दिवसे द्विशताब्धि–उत्सवनो कार्यक्रम चालु रह्यो हतो. बपोरे
शांतियज्ञ थयो हतो; पू. गुरुदेव आजे खानियाजीना जिनमंदिरोमां दर्शन करवा गया
हता. पहाडी उपर जवानो मोटररस्तो घणो विकट हतो. चालीने जवानो रस्तो सुगम
छे. नीचे बे जिनमंदिरो छे, तथा पहाड उपर पण मंदिर छे. रात्रे हिंमतनगरना
प्रतिष्ठा–महोत्सवनी फिल्मनुं प्रदर्शन तेमज विद्वानोना भाषण थया हता. फिल्ममां
हेलिकोप्टरद्वारा जिनमंदिर उपर पुष्पवृष्टि वगेरे द्रश्यो जोतां जनता हर्षित थती हती.
फागण सुद चोथ (ता. १४) सवारे प्रवचनादि कार्यक्रमो थया हता, बपोरे पू.
गुरुदेव अने अनेक यात्रिको पद्मपुरा क्षेत्रे जिनमंदिरमां दर्शन करवा गया हता. अहीं
जमीनमांथी मूलचंद नामना एक बाळकने २० वर्ष पहेलां मळेला पद्मप्रभुना
प्रतिमाजीने पधरावीने एक विशाळ उन्नत मंदिर बंधाई रह्युं छे, जेमां पचीस लाख
जेटला खर्चनो अंदाज छे. आ मंदिरमां अनेकविध कारीगरी तेमज उन्नत घूम्मट छे.
आरसना घूमटनी ऊंचाई ८प फूट जेटली छे ने तेना उपर शिखर थशे त्यारे सवासो
फूट ऊंचाई थशे.
वच्चे सांगानेरमां दशेक प्राचीन जिनमंदिरो छे, तेना पण दर्शन यात्रिकोए कर्या.
ठेर ठेर जिनेन्द्रवैभवना दर्शनथी यात्रिकने आनंद थाय छे, ने आपणा जैनधर्मनुं
प्राचीन गौरव जोईने हर्ष थाय छे. जयपुरमां पण ठेरठेर सुंदर जिनमंदिरो छे–अनेक
प्राचिन जिनालयोना वैभवथी आ जैनपुरी–जयपुरनुं भव्य गौरव छे, जोके