Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९३ आत्मधर्म : ४३ :
सुंदरतानी द्रष्टिए तो आ नगरी भारतमां ने विदेशोमां प्रसिद्ध छे ज, परंतु धार्मिक
द्रष्टिए जैनोना वैभवसंपन्न मंदिरोए अने अहींना महान टोडरमलजी जेवा अनेक
विद्वानोए आ नगरीने गौरवभरेली प्रसिद्धि आपी छे. करफ्युना कारणे हरवाफरवानो
जे प्रतिबंध हतो ते दूर थवाने लीधे हवे सेंकडो–हजारो यात्रिको आनंदपूर्वक नगरीमां
जईने जिनमंदिरोनां दर्शन करता हता.
फागण सुद ४ नी रात्रे श्री महावीर दि. जैन विद्यालयना बाळक–बालिकाओए
सुंदर धार्मिक कार्यक्रम रजु कर्यो हतो. आ कार्यक्रम घणो ज भावपूर्ण अने कलात्मक हतो.
तेमां पण नाना बाळकोद्वारा पं. श्री टोडरमलजीना जीवनप्रसंगो उपर जे अभिनय
थयो, अने पं. टोडरमलजीनुं पात्र भजवनार बाळके जे सुंदर भावभीनो अभिनय
कर्यो–ते देखीने गुरुदेवने तेमज हजारो दर्शकोने खूब प्रसन्नता थई हती. टोडरमलजीनुं
आ नाटक लखनारने, तेनुं दिग्दर्शन करनारने तथा सफळतापूर्वक ते भजवनारने
धन्यवाद घटे छे. आ कार्यक्रमथी प्रसन्न थईने घणा जिज्ञासुओए पुरस्काररूपे रकमो
जाहेर करी हती.
फागण सुद पांचम–आजे जयपुरमां उत्सवनो छेल्लो दिवस; आजनुं प्रवचन
शहेरमां महावीर पार्कमां (मनिहारोंका रास्तामां) राखवामां आव्युं हतुं. आ लत्तो
जैनोनी खास वस्तीथी भरचक छे अने चोकनी आसपासमां ज पचीस जेटला भव्य
जिनालयो छे. तद्न नजीक नजीकमां आवा भव्य जिनालयो देखीने आश्चर्य थाय छे के
आ नगरीमां जैनोनी जाहोजलाली केटली महान हशे!–एटले ज घणा लोको आने
जैनपुरी कहे छे. शहेरमां प्रवचन होवाथी नगरजनो पण घणी मोटी संख्यामां आव्या
हता ने अनेक विद्वानो सहित दशेक हजार जेटली संख्या थई हती. प्रवचन पछी
जयपुरना ईतिहासमां अभूतपूर्व एवी जिनेन्द्रभगवाननी भव्यविशाळ रथयात्रा
नीकळी हती. रथयात्रानी महानतानो एटला उपरथी ज ख्याल आवी जशे के श्री
जिनेन्द्रभगवानना रथना सारथि तरीके कहानगुरु बेठा हता, अने रथनी आगळ १८
अढार सुसज्जित हाथी उपर धर्मध्वज फरकावता ईन्द्रो बेठा हता. १८ हाथी उपरांत
सुसज्जित ११ ऊंट, घोडेस्वारो, त्रण रथ, बाहुबली प्रभुना तथा टोडरमलजीना मोटा
चित्रो सहित शणगारेली जीपगाडी, अनेक बेन्डवाजां, भजनमंडळीओ वगेरे
ठाठमाठसहित अने वीस–पचीस हजारना जनसमुदाय सहित ज्यारे भव्य रथयात्रा
जयपुर नगरीना त्रिपोलिया बजार अने झवेरी बजार जेवा