निश्चयी’ मुमुक्षुनी जेम पोताना ईष्ट ध्येये पहोंची जाय छे...आनंदथी गुरुदेव साथे
यात्रा करीने बीजी टूंको तरफ प्रस्थान कर्युं. भगवान आदिनाथ स्वामी, अभिनंदन
स्वामी वगेरे टूंकोनी यात्रा करी, जलमंदिरने वटावीने थोडीवारमां फरीने पहेली टूंकनी
लगभग पांच माईल उपरांत प्रदक्षिणा फरीने थाकेल यात्रिक ज्यां सामे नजर ऊंची करे
छे त्यां तो पार्श्वप्रभुनी टूंक देखाय छे ने एना हैयामां एवो हर्ष जागे छे के ए थाकने
घडीभर भूली जाय छे. पाछला भागमां नजर करीने जोतां ख्याल आवे छे के केटली
बधी ऊंची ऊंची टूंकोनी यात्रा करी आव्या! सिद्धिधामनी आवी महान विशाळता
देखीने द्रष्टि तृप्त थाय छे, ने हैयामां यात्रानो संतोष अनुभवाय छे. फरीने उपरना
सिद्ध भगवंतो सन्मुख द्रष्टि करीने, अने संतोनुं स्मरण करीने गुरुदेवना पगले पगले
वच्चे सुपार्श्वनाथ, नेमनाथ वगेरे टूंकोनी यात्रा करीने धीरे धीरे पार्श्वनाथप्रभुनी टूंके
आवी पहोंच्या...प्रभुजीना चरणना दर्शन करीने अर्घ चडाव्यो. मंदिर सेंकडो यात्रिकोथी
ने वारंवार कहेता हता के यात्रा बहु सरस थई. यात्रा प्रसंगे पू. बेनश्री–बेने
तीर्थमहिमानुं एक खास भावभीनुं स्तवन बनाव्युं हतुं ते पू. गुरुदेवनुं आप्युं ने
गुरुदेवे सम्मेदशिखरजी महातीर्थना सौथी ऊंचा शिखर उपर (सुवर्णभद्र टूंक उपर) ए
स्तवन गवडाव्युं–
शाश्वत तीरथधाम प्रभुजीने लाखो प्रणाम.
चैतन्यमंदिरे नित्य विचरता, सिद्धानंदनी लहेरे वसता;
ज्ञानशरीरी भगवान प्रभुजीने लाखो प्रणाम.
अनंत तीर्थंकर स्मरणे आवे, अनंत मुनिना ध्यानो स्फूरे,