Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९३ आत्मधर्म : ९ :
हतुं. आ रीते जाणे सिद्धधाममां केवळज्ञाननो उत्सव उजवायो हतो. बपोरे प्रवचन
पछी केवळज्ञान–कल्याणकने अनुलक्षीने पांडुक शिलाना स्थानेथी सम्मेदशिखरजी
महातीर्थनुं पूजन थयुं हतुं. जाणे फरीथी सिद्धिधामनी यात्रा ज करता होईए एवा
उमंगथी गुरुदेव साथे पूजन कर्युं हतुं. तीर्थ–पूजन करतां गुरुदेवने पण घणी प्रसन्नता
थती हती. पू. बेनश्री–बेन विधविध प्रकारना पूजन–भक्तिवडे यात्रिकोना उल्लासमां
अनेरो रंग पूरता हता. अहींथी शिखरजीनुं पावन द्रश्य घणुं ज मनोहर देखाय छे, एक
छेडे चंद्रप्रभुनी टूंक ने बीजा छेडे पार्श्वप्रभुनी टूंक, तथा वच्चेनी अनेक टूंक अहींथी
देखाय छे. मधुवनमां स. गाथा ७२ उपर गुरुदेवना सात प्रवचनो थया; दरेक
प्रवचनमां गुरुदेव तीर्थराजने याद करीने कहेता के अहीं तो उपर अनंता सिद्धभगवान
बिराजे छे; भगवानना आवा धाममां तो आत्मानी ऊंची वात समजवी जोईए ने!
भगवानना धाममां वारंवार भगवंतोने याद करीने, हाथवडे उपरना सिद्धालयनुं
दिग्दर्शन करीने गुरुदेव सिद्धिनो पंथ देखाडता हता. –आम आनंदपूर्वक छ दिवस सुधी
गुरुदेव साथे शिखरजी–सिद्धिधाममां रह्या; ने फागण वद पांचमे शिखरजी धामना पुन:
पुन: दर्शन करीने पावापुरी तीर्थधाम तरफ प्रस्थान कर्युं.
पावापुरी–सिद्धिधाम: (फा. वद पांचम तथा छठ्ठ) चंपापुरी–मंदारगिरि तीर्थनी
यात्राए गयेला यात्रिको तीर्थयात्रा करीने पावापुर पहोंची गया हता ने गुरुदेवना
आगमननी राह जोता हता. सवारमां गुरुदेव पधारतां उमंगथी स्वागत कर्युं;
शरूआतमां गुरुदेव जलमंदिरमां पधार्या ने भावपूर्वक दर्शन करीने अर्ध चडाव्यो. पछी
धर्मशाळाना मंदिरे आवीने महावीरप्रभुना दर्शन कर्या. पावापुरी अतिशय रळियामणुं
सिद्धक्षेत्र छे. पद्मसरोवर वच्चे जलमंदिरमां वीरप्रभुना चरणो शोभे छे ने भगवानना
मोक्षगमननी स्मृति ताजी करावे छे. आ पद्मसरोवरना कांठे ज धर्मशाळामां संघनो
उतारो हतो. बपोरे प्रवचनमां समयसारनो पहेलो कळश वांच्यो हतो; गुरुदेव
सिद्धक्षेत्रमां सिद्धभगवंतोने वारंवार याद करता हता, सिद्धिनो मार्ग देखाडता हता.
प्रवचन पछी भव्य रथयात्रा नीकळीने पद्मसरोवरे गई हती ने त्यां उत्साहपूर्वक
जिनेन्द्र भगवानना पूजन–अभिषेक थया हता. रात्रे वीरप्रभुजी सन्मुख पू. बेनश्री–
बेने भावभीनी भक्ति करावी हती. वीरप्रभुना मनोज्ञ प्रतिमा जोतां, जाणे के
पावापुरीमां मोक्षगमन माटे महावीरप्रभु तैयार ऊभा होय–एवुं