Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९३ आत्मधर्म : ११ :
फागण वद ८ (ता. २) नी सवारमां हजारीबागथी प्रस्थान करीने गुरुदेव रांची
शहेर पधार्या. भक्तोए उमंगभर्युं स्वागत कर्युं. अहींना अनुपचंदभाई खाराना
सुपुत्री ब्र. कोकिलाबेन सोनगढ ब्रह्मचर्याश्रममां पू. बेनश्री–बेननी छायामां रहे छे,
तेमनुं आ गाम होवाथी विशेष उत्साह हतो; शेठश्री नरभेरामभाई कामाणी वगेरे पण
आव्या हता. भव्य जिनालयमां दर्शन कर्या बाद बाजुना जैन सभाभवनमां हजारथी
वधु श्रोताजनो वच्चे मांगळिक तरीके गुरुदेवे “सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:”
ए सूत्र उपर विवेचन करीने वीतरागी मोक्षमार्गनुं स्वरूप समजाव्युं. बपोरना
प्रवचनमां “हे जगतना जीवो! हवे तो जड–चेतननी एकत्वबुद्धिरूप मोहने छोडो!”–ए
श्लोक उपर गुरुदेवे विवेचन करीने भेदज्ञाननी प्रेरणा आपी हती. प्रवचन बाद
जिनमंदिरमां उल्लासपूर्वक भक्ति थई हती. तथा रात्रे तत्त्वचर्चा थई हती. बीजे दिवसे
सवारमां जिनमंदिरमां सेंकडो यात्रिकोए समूह– पूजन कर्युं हतुं; अने बपोरे प्रवचन
पछी भक्ति थई हती. बंने दिवस यात्रासंघ उपरांत रांचीना सेंकडो जिज्ञासुओए
प्रवचनादिनो लाभ लीधो हतो ने प्रसन्नता व्यक्त करी हती. बे दिवसनो कार्यक्रम
आनंदथी पूर्ण करीने फागण वद दशमना सुदिने सवारमां जयजयकारपूर्वक रांचीथी
धनबाद तरफ प्रस्थान कर्युं.
फागण वद दशमे गुरुदेवे धनबाद पधारतां धनबाद शहेरमां गुजराती–समाजना
भाईओए उत्साहथी भाग लीधो हतो ने बपोरे प्रवचनमां हजारेक श्रोताजनोए भाग
लीधो हतो. सांजे धनबादथी प्रस्थान करी आसनसोल रात रहीने, बीजे दिवसे
चिन्सुरा आव्या. त्यां जिनमंदिरमां शांत वातावरणमां प्राचीन जिनबिंबोना दर्शन
कर्या. जिनमंदिर साथे ज धर्मशाळा हती. सांजे कलकत्ता पहोंची गया.
ता. ६ एप्रील सवारमां कलकत्तामां भव्य स्वागत थयुं. पार्कना भव्य मंडपमां
प्रथम स्वागताध्यक्ष शेठश्री गजराजजी गंगवाले स्वागत–प्रवचन कर्युं, त्यारबाद त्रण–
चार हजार माणसोनी सभामां गुरुदेवे मंगलप्रवचन कर्युं. बंने वखत प्रवचनोमां चार–
पांचहजार श्रोताजनो होंशथी भाग लेता हता ने गुजराती तथा मारवाडी साधर्मीओना
मधुर मिलननुं द्रश्य जोई आनंद थतो हतो. कलकत्तानी भीडमां मुमुक्षुओने थतुं के क्यां
सिद्धिधाम सम्मेदशिखरजीनुं उपशांत वातावरण! ने क्यां आ नगरीनी भीड! आम
भीड वच्चे त्रण दिवस पसार कर्या. ते दरमियान नयामंदिरमां भक्ति–पूजनना कार्यक्रमो
राख्या हता. बेलगछिया पार्श्वनाथ जिनमंदिरना दर्शन कर्या. चोथे दिवसे सांजे गुरुदेवे
कलकत्ताथी प्रस्थान कर्युं.