अहींनो कार्यक्रम राखवामां आव्यो हतो; एटले गुरुदेव साथे सीमंधर भगवानना दर्शन
करतां सौने घणो ज हर्ष थयो. प्रथम गुरुदेव पधारतां स्वागत थयुं ने गुरुदेव
जिनमंदिरमां दर्शन करवा पधार्या. जिनेन्द्र भगवंतोने अर्घ चडावतां चडावतां ने दर्शन
करतां करतां ज्यां सीमंधरप्रभुनी समीपमां आव्या के तरत घणा भावथी गुरुदेव
प्रभुजीने देखी रह्या. पांचसो वर्ष प्राचीन प्रतिमाजी उपरना लेखमां सीमंधरस्वामीनुं
नाम वांच्युं. तेमां लख्युं छे के
भक्ति करवानुं कह्युं. थोडीवार भावभीनी भक्ति थई. गुरुदेवे कह्युं के आ सीमंधर
भगवाननां दर्शन करवा माटे ज अहीं आव्या छीए. त्यारबाद प्रवचन–सभामां
भावभीनुं मंगल–प्रवचन करतां गुरुदेवे कह्युं–
छे; एवा परमात्मा सीमंधर भगवान अत्यारे विदेहक्षेत्रमां बिराजे छे; अने अहीं पण
स्थापना–निक्षेपथी सीमंधर परमात्मा बिराजी रह्या छे. अमारे सोनगढमां पण सीमंधर
भगवानने पधराव्या छे, पण अहीं तो पांचसो वर्ष प्राचीन सीमंधर भगवाननी
प्रतिमा छे; तेमना खास दर्शन करवा माटे अहीं आव्या छीए. कोई कहेतुं हतुं के
छे; जे काळमां तेओ जन्म्या, दीक्षा लीधी के केवळज्ञानादि पाम्या