Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९३
बयाना शहेरमां अपूर्व मंगळ साथे अपूर्व जाहेरात
गुरुदेवे महान उल्लासपूर्वक प्रसिद्ध करेली पूर्व भवनी आनंदकारी वात
पांचसो वर्ष प्राचीन सीमंधर प्रभुनी प्रतिमा समक्ष थयेलो भव्य उत्सव
फागण सुद ७ बयाना नगरमां पहोंच्या........सीमंधर भगवान अहींना
जिनमंदिरमां बिराजे छे, तेमना खास दर्शन करवा माटे ज गुरुदेवनी खास भावनाथी
अहींनो कार्यक्रम राखवामां आव्यो हतो; एटले गुरुदेव साथे सीमंधर भगवानना दर्शन
करतां सौने घणो ज हर्ष थयो. प्रथम गुरुदेव पधारतां स्वागत थयुं ने गुरुदेव
जिनमंदिरमां दर्शन करवा पधार्या. जिनेन्द्र भगवंतोने अर्घ चडावतां चडावतां ने दर्शन
करतां करतां ज्यां सीमंधरप्रभुनी समीपमां आव्या के तरत घणा भावथी गुरुदेव
प्रभुजीने देखी रह्या. पांचसो वर्ष प्राचीन प्रतिमाजी उपरना लेखमां सीमंधरस्वामीनुं
नाम वांच्युं. तेमां लख्युं छे के
पूर्व्वे विदेहके तीर्थकर्त्ता श्री जीवन्तस्वामी श्री
श्रीमंधरस्वामी। फरी फरीने गुरुदेवे ए नाम वांच्युं, ने ते लेखनी नोंध करवानुं कह्युं.
भावभीना चित्ते गुरुदेव प्रभुजीनी नीकटमां घणीवार सुधी बेसी रह्या, अने पू. बेनोने
भक्ति करवानुं कह्युं. थोडीवार भावभीनी भक्ति थई. गुरुदेवे कह्युं के आ सीमंधर
भगवाननां दर्शन करवा माटे ज अहीं आव्या छीए. त्यारबाद प्रवचन–सभामां
भावभीनुं मंगल–प्रवचन करतां गुरुदेवे कह्युं–
‘मंगळ’ चार प्रकारे छे–नाम, स्थापना, द्रव्य, ने भाव; आत्मानुं स्वरूप जे शुद्ध
भूतार्थस्वभाव ते मंगळ छे; ते स्वरूपने साधीने जेओ सर्वज्ञ–परमात्मा थया ते मंगळ
छे; एवा परमात्मा सीमंधर भगवान अत्यारे विदेहक्षेत्रमां बिराजे छे; अने अहीं पण
स्थापना–निक्षेपथी सीमंधर परमात्मा बिराजी रह्या छे. अमारे सोनगढमां पण सीमंधर
भगवानने पधराव्या छे, पण अहीं तो पांचसो वर्ष प्राचीन सीमंधर भगवाननी
प्रतिमा छे; तेमना खास दर्शन करवा माटे अहीं आव्या छीए. कोई कहेतुं हतुं के
हमारा
गांव छोटा है, भाई! गांव भले छोटा हो लेकिन भगवान तो बडा है! एवा
सीमंधरादि परमात्मानुं नाम मंगळरूप छे; तेओ ज्यां बिराजता होय ते क्षेत्र मंगळरूप
छे; जे काळमां तेओ जन्म्या, दीक्षा लीधी के केवळज्ञानादि पाम्या