Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 16 of 41

background image
: चैत्र : २४९३ आत्मधर्म : १३ :
ते काळ पण मंगळ छे; ने जे भावथी तेओ केवळज्ञानादि पाम्या ते सम्यक्त्वादि भाव
पण मंगळरूप छे. अने षट्खंडागममां तो वीरसेनस्वामीए एक विशेष वात करी छे के
जे आत्मा तीर्थंकरादि थनार छे ने केवळज्ञानादि पामनार छे ते आत्मद्रव्य त्रिकाळ
मंगळरूप छे.
अत्यारे सीमंधर भगवान पूर्वविदेहमां तीर्थंकरपणे विचरे छे. बे हजार वर्ष
पहेलां जेमनी वाणी सांभळीने कुंदकुंदाचार्यदेवे शास्त्रो रच्या, ते ज सीमंधरभगवान
अत्यारे पण बिराजी रह्या छे. तेमनुं आयुष्य क्रोडपूर्वनुं छे. जेम २४ तीर्थंकरनी
स्थापना थाय छे, तेम सीमंधरभगवान वगेरे विद्यमान तीर्थंकरनी पण स्थापना थाय
छे. तेनुं अहीं पांचसो वर्ष प्राचीन प्रमाण आ मूर्तिना शिलालेखमां छे, हमारे
सोनगढमें तो मानस्तंभमां चार उपर, चार नीचे, समवसरणमां चौमुखी तथा
मंदिरजीमां बे–एम सीमंधर भगवाननी स्थापना छे, तेमज सौराष्ट्र वगेरेमां घणे
ठेकाणे पण सीमंधर भगवान बिराजे छे; परंतु अहीं सीमंधर भगवानना पांचसो वर्ष
पहेलांना प्राचीन प्रतिमाना दर्शनथी हमको बडा प्रमोद आव्या! जेवा अहीं महावीरादि
२४ तीर्थंकरो थया तेवा ज सीमंधर भगवान पण तीर्थंकरपणे विदेहमां अत्यारे विचरी
रह्या छे. शुं कहीए! बीजी घणी वात छे...
मंगळना श्लोकमां महावीर भगवान अने गौतमगणधर पछी त्रीजुं नाम
कुंदकुंदाचार्यदेवनुं (मंगलं कुन्दकुन्दार्यो) आवे छे. तेओ आ भरतक्षेत्रमां बेहजार वर्ष
पहेलां थयेला महान संत हता, आत्माना ज्ञान–आनंदना प्रचुर संवेदनमां झुलता हता,
अतीन्द्रिय आनंदथी विलसित तेओ मद्रास पासे (८० माईल दूर)
पोन्नूर पहाड उपर
रहीने आत्मध्यान करता हता. एकवार तेमने भरतक्षेत्रमां तीर्थंकर–केवळीनो विरह
साल्यो, ने सीमंधर परमात्मानुं ध्यान कर्युं. तेओने आकाशमां चालवानी महान लब्धि
हती; अने देहसहित तेओ सीमंधर परमात्मा पासे विदेहक्षेत्रमां गया हता. अहा,
एमनी पवित्रता तो अलौकिक, ने एमनां पुण्य पण केवा अलौकिक–के भरतक्षेत्रना
मानवीए देहसहित विदेहक्षेत्रना तीर्थंकरनी यात्रा करी ! विदेहमां आठ दिवस सुधी
सीमंधर भगवाननी दिव्यध्वनि सांभळीने पछी भरतक्षेत्रमां पोन्नूर पर तेमणे
समयसारादि महान शास्त्रो रच्या. ते वखते जे सीमंधर परमात्मा बिराजता हता ते ज
अत्यारे पण बिराजी रह्या छे.
अहीं बयानामां पण पांचसो वर्ष प्राचीन सीमंधर भगवान बिराजे छे ए
सांभळ्‌युं त्यारथी ते प्रतिमाजीना दर्शन करवानी भावना हती. जयपुरना उत्सवना