दर्शन करवा माटे ज अहीं आव्या छीए. गांव छोटा हो या बडा, परंतु भगवान तो
मोटा बिराजी रह्या छे. आ सीमंधरभगवान हमारा प्रभु है, हमारा देव है, तेमनो
अमारा उपर महान उपकार छे. आ पहेलांना भवमां अमे ते भगवान पासे हता. पण
अमारी भूलना कारणे अहीं भरतमां आव्या छीए कुंदकुंदाचार्यदेव अहींथी
सीमंधरपरमात्मा पासे आव्या ने भगवाननी वाणी सांभळी त्यारे हम भी वहां
उपस्थित थे. आ दोनों बहेनोंका आत्मा भी पुरुषभवमें वहां उपस्थित थे. कुंदकुंदाचार्य
को हमने साक्षात् देखे है, विशेष क्यां कहे? और भी बहुत गंभीर बात है. सीमंधर
परमात्माका यहां विरह हुआ; यहांके भगवाननी बात सुनकर और आज साक्षात्
दर्शन कर हमको बहुत प्रमोद हुआ.
अत्यंत महत्वनी सोनेरी वात जाहेर करी...सीमंधरनाथना दर्शनथी अंतरमां जागेला
विदेहक्षेत्रना मधुर संभारणा आजे गुरुदेवना हृदयमां आनंदनी उर्मिओ जगाडता हता;
ने हृदयना घणा घणा भावो खोलवानुं मन थतुं हतुं. पू. श्री चंपाबेनने पूर्वना चार
भवनुं जातिस्मरण ज्ञान छे अने पूर्वभवमां सीमंधर भगवान पासे हता, ते वात
प्रसिद्ध करतां अत्यंत प्रमोद अने प्रसन्नताथी गुरुदेवे कह्युं के–
(सामे बेठेला छे तेमने) चार भवनुं जातिस्मरण ज्ञान छे. आ बंने बहेनो (चंपाबेन
अने शान्ताबेन) पूर्वे महाविदेह क्षेत्रमां भगवान पासे हता, त्यांथी अहीं आव्या छे.
आ बे बेनो, हुं तथा बीजा एक भाई हता–एम चार जीवो भगवाननी समीपमां हता,
पण अमारी भूलथी अमे आ भरतक्षेत्रमां आव्या. अहीं प०० वर्ष प्राचीन सीमंधर
प्रभु बिराजी रह्या छे, तेमने देखीने घणो प्रमोद थयो. आ परमात्मानी समीपमां हुं आ
वात आजे अहीं खुल्ली मूकुं छुं के आ बेनो ने अमे पूर्वे सीमंधर परमात्मा पासे हता
ने आ चंपाबेनने चार भवनुं ज्ञान छे. आत्माना ज्ञान उपरांत तेमने तो चार भवनुं
ज्ञान छे. आ सीमंधर भगवाननी साक्षीए समाजमां आ वात बहार पाडी छे. अमारा
उपर भगवाननो महा उपकार छे.