Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९३ आत्मधर्म : १प :
अहा, सीमंधर भगवाननी समीपमां गुरुदेवना आवा परम भावभीनां
हृदयउद्गार सांभळीने श्रोताजनो हर्षानंदमां तरबोळ बन्या.....यात्रामां सौ धन्यता
अनुभववा लाग्या. विदेहीनाथ सीमंधरप्रभुनी गुरुदेवे महान आनंदपूर्वक यात्रा करावी.
एकेएक यात्रिक बीजुं बधुं भूलीने सीमंधरनाथनी चर्चामां मशगुल हता. बयाना
नगरमां ज्यां जुओ त्यां गुरुदेवना आजना हर्षोद्गारनुं वातावरण देखातुं हतुं.
जयपुरना भव्य उत्सव पछी तरत आवो महान आनंदकारी प्रसंग बन्यो–ए खरेखर
सीमंधर भगवानना प्रतापे गुरुदेवद्वारा भरतक्षेत्रमां महान धर्मवृद्धि थवानुं सूचवे छे.
जय हो सीमंधरनाथनो........................
जय हो सीमंधरनंदन गुरुदेवनो....................
जय हो विदेहथी पधारेला सन्तोनो................
* * *
आम घणा ज प्रमोदपूर्वक गुरुदेवे सीमंधरप्रभुना चरणसान्निध्यमां हृदयना
भावो खोल्या. श्रोताजनोना हर्षनो तो आजे पार न हतो. बयानानी आवी
आनंदकारी यात्रानी तो कोईने कल्पनाय न हती. बयाना शहेर जाणे आज
सीमंधरनगर बनी गयुं हतुं. आजना आनंदकारी प्रसंगनी ज चर्चा गुरुदेव वारंवार
कर्या करता हता. हजी पण हृदयना घणा घणा भावो खोलवानुं गुरुदेवनुं मन हतुं.
प्रसन्नचित्ते फरीफरी तेमणे कह्युं–कोई लोको कहे छे के तमे सीमंधरप्रभुनी प्रतिमा केम
पधरावी? पण भाई, प्रतिमा तो २४ तीर्थंकरनी तेमज विद्यमान तीर्थंकरोनी पण होय
छे. अहीं पांचसो वर्ष पहेलां सीमंधरप्रभुनी स्थापना थई छे–ए ज एनो मोटो पुरावो
छे; ने प्रतिमा उपर सीमंधरप्रभुनो लेख अत्यंत स्पष्ट छे. तेमने
जीवन्तस्वामी एटले
विद्यमान तीर्थंकर कह्या छे. तेमना दर्शन करवानो विचार हतो, ते आजे सफळ थयो; ने
भगवाननी समीपमां आ वात प्रसिद्ध करी, ते मंगळ छे.
अहीं तो सीमंधर भगवाननी स्थापना छे; ने महाविदेहमां साक्षात्
सीमंधरपरमात्मा अत्यारे बिराजे छे. आ चंपाबेनने ४ भवनुं ज्ञान छे. पूर्व भवमां
अमे चार जीवो भगवान पासे हता, ने तेमना ज्ञानमां स्पष्ट भास्युं छे; बीजुं पण
घणुं छे. आत्मज्ञान उपरांत तेमने तो चार भवनुं ज्ञान छे. त्रीस वर्षे आजे अहीं
सीमंधरभगवाननी साक्षीमां ए वात जाहेर करुं छुं. पूर्वभवमां आ बे बेनो तथा मारो
आत्मा (गुरुदेवनो आत्मा–राजकुमार तरीके) त्यां भगवाननी समीपमां हता. त्यांथी अमे