Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९३ आत्मधर्म : १७ :
बपोरे पण फरीफरीने सीमंधरनाथनुं अवलोकन करवा गुरुदेव पधार्या हता, ने
वारंवार सूक्ष्मताथी अवलोकन करतां तेमना अंतरमां अवनवा भावो जागता हता, ने
पूर्वना घणां मधुर स्मरणो ताजा थता हता. भक्तोने त्यारे एम थतुं हतुं के अहीं आ
भरतक्षेत्रमां सं. १प०७ मां ज्यारे आ सीमंधर भगवान स्थपाता हशे त्यारे गुरुदेव
अने पू. बेनश्री–बेन वगेरे आत्माओ तो विदेहक्षेत्रमां साक्षात् सीमंधरनाथने सेवतां
हशे! ए वखते बयानामां कोने कल्पना हशे के प१६ वर्ष पछी साक्षात् सीमंधर
भगवान पासेथी भक्तो अहीं आवीने आ सीमंधरनाथनां दर्शन–पूजन करशे! बपोरे
भक्तोने भावना जागी के गुरुदेव साथे अहीं आव्या छीए तो चालो, भगवाननो
अभिषेक पण करीए ने गुरुदेव पासे पण अभिषेक करावीए. उत्साहथी अभिषेक
माटेनी ऊछामणी थई, ने गुरुदेवे स्वहस्ते भावभीना चित्ते पोताना वहाला नाथनो
अभिषेक कर्यो. गुरुदेवना हस्ते सीमंधरनाथना अभिषेकनुं द्रश्य देखीने यात्रिकसंघमां
तेमज बयानानी जनतामां हर्षपूर्वक जयजयकार छवाई गयो. अने सीमंधरनाथनी आ
यात्रानी खुशालीमां कुल रूा. पपपप (पांच हजार पांचसो पंचावन) जिनमंदिर
(बयाना) ने अर्पण करवामां आव्या. ते उपरांत बीजी पण केटलीक रकमो जाहेर
करवामां आवी. बयाना शहेरना संघे घणो प्रेम बताव्यो हतो. ने उल्लासपूर्वक
आगता–स्वागता करी हती. बपोरना प्रवचनमां पण गुरुदेवे वारंवार पोतानो प्रमोद
व्यक्त कर्यो हतो. (ते प्रवचन आ अंकमां आप्युं छे.) प्रवचननुं स्थान बराबर
सीमंधर भगवाननी सन्मुख नीकटमां ज हतुं, तेथी गुरुदेवने विशेष भावो उल्लसता
हता. आजे दिवस पण फागण सुद सातम हतो; (दश वर्ष पहेलां आ ज दिवसे
सम्मेदशिखरजीनी यात्रा करी हती, ने अत्यारे पण तेनी ज जात्रा करवा जई रह्या
हता.) प्रवचन पछी फरी एकवार सीमंधरप्रभुना दर्शन करीने तथा बीजा मंदिरमां
दर्शन करीने भगवानना जयजयकार पूर्वक गुरुदेवे तेमज यात्रासंघे बयानाथी ईटावा
प्रस्थान कर्युं.
वच्चे फिरोझाबादना भव्य जिनमंदिरना दर्शन करवा यात्रिको रात त्यां रोकाया
हता. गुरुदेव रात्रे आग्रा थई बीजे दिवसे सवारमां फिरोझाबाद–जिनमंदिरना दर्शन
करीने ईटावा शहेर पधार्या. वच्चे जसवंतनगर गामे मंदिरमां दर्शन कर्या हता, तथा
जैनसमाजे स्वागत कर्युं हतुं.