Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 23 of 41

background image
: २० : आत्मधर्म : चैत्र : २४९३
तीर्थ – स्तवन
(श्री सम्मेदशीखरजी–तीर्थधामनी यात्रा प्रसंगे आ तीर्थ–
स्तवन पू. बेनश्री–बेने बनावेलुं; यात्रा बाद पर्वत उपर
पारसप्रभुनी टूंके पू. गुरुदेवे भक्तिभावपूर्वक आ स्तवन
गवडाव्युं हतुं. तीर्थभक्तिना ने आत्मिकभावनाना अद्भुत
भावो आ स्तवनमां नीतरी रह्या छे–)
(सं. २०२३ फागण सुद १प)
अनंत जिनेश्वरदेव प्रभुजीने लाखो प्रणाम...प्रभुजीने क्रोडो प्रणाम...
चोवीसों भगवान प्रभुजीने लाखो प्रणाम...प्रभुजीने क्रोडो प्रणाम...
शाश्वत तीरथधाम प्रभुजीने लाखो प्रणाम...प्रभुजीने क्रोडो प्रणाम...१
अनंत जिनेश्वर मुक्ति पधार्या, समश्रेणीए सिद्धि बिराज्या,
प्रगट्या पूर्ण निधान प्रभुजीने लाखो प्रणाम...२
अनंत गुणोना सागर उछळ्‌या, अपूर्व सिद्धपरिणतिए प्रणम्या;
अशरीरी भगवान...प्रभुजीने लाखो प्रणाम...
ज्ञानशरीरी भगवान...प्रभुजीने लाखो प्रणाम...३
चैतन्यमंदिर नित्य विचरता, सिद्धानंदनी लहेरे वसता;
गुणोना निधान...प्रभुजीने लाखो प्रणाम...
जोगातीत भगवान...प्रभुजीने लाखो प्रणाम...४
विचर्या अनंत तीर्थंकर देवा, कणकण पावन थया शिखरना;
मंगळकारी महान...प्रभुजीने लाखो प्रणाम...प
चारणऋद्धिधारी पधार्या, गणधरमुनिना वृंद पधार्या;
ध्यान कर्या आ धाम...प्रभुजीने लाखो प्रणाम... ६