Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९३
सीमंधरधाम बयाना नगरीमां
भावभीनुं प्रवचन
फागण सुद सातमना रोज सीमंधरभगवानना दर्शन–पूजन–
भक्ति–अभिषेक उल्लासपूर्ण वातावरण वच्चे गुरुदेवनुं
आनंदकारी..प्रवचन.
वंदित्तु सव्व सिद्धे.........ए मंगलाचरण द्वारा कुंदकुंदाचार्यदेवे आत्मामां अनंत
सिद्धोनी स्थापना करी छे. आत्मानो स्वभाव सिद्धसमान छे एम प्रतीतमां लईने स्व–
परना आत्मामां सिद्धनी स्थापना करी छे; ‘हुं सिद्ध, तुं सिद्ध’ –एम सिद्धस्वरूपना लक्षे
शुद्धात्मानुं श्रवण करजो. –एम अपूर्व मांगळिक कर्युं छे.
सीमंधर भगवान पासे विदेहमां कुंदकुंदाचार्यदेव गया हता ने त्यां आठ दिवस
रहीने दिव्यध्वनिनुं श्रवण कर्युं हतुं. –ए वात अनेक प्रमाणथी सिद्ध थई गयेली छे, ने
सीमंधर भगवाननो महान उपकार छे. तेमां वळी अहीं पांचसो वर्ष पहेलांनां
प्रतिमाजी सीमंधरप्रभुना बिराजे छे. तेथी अहीं खास दर्शन करवा आव्या छीए.
कोई कहे– ‘घर थोडा छे ने गाम छोटुं छे.’
गुरुदेव कहे छे–भाई, घर छोटा, पण तेमां परमात्मा तो मोटा छे ने! तेम आ
गाम भले नानुं पण अहीं सीमंधर भगवान मोटा बिराजे छे ने!ं साधकना नाना
ज्ञानमां अनंत सिद्धोने समाडवानी ताकात छे.
अनंत सर्वज्ञ–सिद्धभगवंतोनो पोताना ज्ञानमां आदर करवो ते मांगळिक छे.
आचार्यदेव मंगळमां कहे छे के मारा ने तमारा आत्मामां हुं अनंतसिद्ध भगवंतोने
स्थापुं छुं. –ए महा मांगळिक छे.
अहा, भरतक्षेत्रना मुनिए सदेहे विदेह क्षेत्रनी यात्रा करी, ने सीमंधर
भगवानना