चरणे भक्तिथी स्पर्श्या, सप्तर्षिमुनिभगवंतोना दर्शन कर्या; जंबुस्वामीना
प्रतिमाजीना पण दर्शन कर्या, तथा भक्तिपूर्वक पू. बेनश्री बेने जंबुस्वामी वगेरेनी
पूजा करावी. धन्य ते वैरागी जंबुस्वामी–के जेमणे लग्नना बीजा ज दिवसे चार
स्त्रीओने छोडीने मुनिदीक्षा धारण करी. अजितनाथ वगेरे अनेक जिनभगवंतोना
पण दर्शन कर्या; त्यारबाद जिनमंदिरना चोकमां सिद्धभगवानश्री जंबुस्वामीनुं
स्मरण करीने गुरुदेवे भावभीनुं मंगल कर्युं; तेमां कह्युं के प्रभो! आप तो आ
भरत क्षेत्रना छेल्ला सर्वज्ञ छो ने अत्यारे सिद्धालयमां (अहींथी उपर
समश्रेणीए) बिराजी रह्या छो. प्रभो, आप सर्वज्ञ छो, अमे तो आपना बाळक
छीए, अमारुं ज्ञान अल्प छे, पण अमारा ज्ञानमां आपने बिराजमान करीने अमे
पण सिद्धपदने साधीए छीए. मथुरा शहेरमां तथा आसपासमां छ–सात
जिनमंदिरो छे. जंबुस्वामीवाळा मंदिरनी सन्मुख मानस्थंभ पण तैयार थई गयो
छे. गोकुळ अने वृंदावन जेवा प्रसिद्ध स्थानो पण आसपासमां ज छे. संघना
भोजननी व्यवस्था सौ. विमलाबेन भगवानदास (वछराजजी शेठना पुत्री)
तरफथी तेमना घेर थई हती. जंबुस्वामीना निर्वाणधामनी ने मुनिवरोना धामनी
यात्रा करतां आनंद थतो हतो. बपोरे स. गा. ६ उपर प्रवचन थयुं हतुं. तथा रात्रे
पू. बेनश्री बेने वैरागी जंबुस्वामी तेमज सप्तर्षिमुनिभगवंतोनी भावभीनी भक्ति
करावी हती. संघे रात्रे आग्रा प्रस्थान कर्युं. गुरुदेव बीजे दिवसे सवारमां
भावपूर्वक जंबुस्वामी वगेरेना दर्शन करीने मथुराथी आग्रा पधार्या; महावीर जैन
कोलेजमां जिनमंदिरमां दर्शन कर्या त्यारबाद स्वागत थयुं, तेमां आग्रानी जनताए
उत्साहथी भाग लीधो हतो. आग्रा नगरमां त्रीस जेटला जिनमंदिरो छे. बीजे
दिवसे चैत्र सुद तेरसनो महावीर–जन्मोत्सव हतो. सवारमां एक भव्य जुलुस
नीकळ्युं; खास मंडपमां गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं हतुं, जेमां महावीर भगवानना
अंतरंग जीवननुं स्वरूप गुरुदेवे समजाव्युं हतुं. रात्रे जिनेन्द्र देवनी भक्ति थई
हती. बीजे दिवसे सवारमां आग्राथी प्रस्थान करीने जयपुर पधार्या हता, थाक
अने विशेष गरमीना कारणे गुरुदेवनी तबीयत जरा अस्वस्थ होवाथी आराम
माटे चार दिवस जयपुर रोकाया हता. आथी अजमेर, चितोड, कुण अने भींडरना
कार्यक्रमो रद करवा पड्या हता. ता. २७ना रोज जयपुरथी सीधा उदेपुर एरोप्लेन
द्वारा आव्या हता, ने उदयपुरथी १२ माईल दूर डबोक गामे शांत वातावरणमां
एक दिवस आराम कर्यो हतो, तथा त्यांना जुना जिनमंदिरमां