प्रवेशनो जाणे उत्सव थतो होय!–एवुं वातावरण हतुं.
मंगळमां गुरुदेवे आत्मानुं आनंदमय जीवन बताव्युं. आत्माने ओळखतां पोतानी
जीवत्व शक्तिनी ताकातथी आत्मा आनंदमय जीवन जीवे छे–ते जीवन मांगळिक छे,
बोटादनुं जिनमंदिर ऊंचुं अने विशाळ छे, मूळनायक श्रेयांसनाथ भगवान, तथा उपर
नेमिनाथ भगवान वगेरे अनेक जिनभगवंतो बिराजे छे; जिनमंदिर तेम ज नगरी
अनेक सुशोभनो वडे शोभे छे अने गुरुदेवना जन्मोत्सवनी उत्साहभरी तैयारी चाली
रही छे.
अर्हन्तदेव द्वारा उपदिष्ट रत्नत्रयधर्मको
कभी मत भूलो! शास्त्रज्ञकी संगति
करो। रत्नत्रयसे भूषित सज्जनोंका
आदर व समागम करो। मुनि–
आर्यिका–श्रावक–श्राविका ऐसे चतुर्विध
संघकी जब जब अवसर मिले तब
आदरपूर्वक वन्दना करो