उद्यम करवो जोईए.
विज्ञानघनस्वभावी हुं एक छुं; अनेक गुण–पर्यायना भेदोथी के प्रदेशभेदोथी हुं
भेदाई जतो नथी, पण अनंत गुण–पर्यायोथी अभेद एक विज्ञानघन छुं. वळी
आत्मानी निर्मळ अनुभूतिस्वरूप होवाथी हुं शुद्ध छुं; ते शुद्धतामां कर्ता–कर्म वगेरे
कारकोना भेदो नथी. छए कारको अभेदपणे पोतानी अनुभूतिमां समाई जाय छे.
आवी निर्मळ अनुभूतिस्वरूप होवाथी हुं शुद्ध छुं. एक शुद्ध ज्ञानस्वरूप एवो हुं,
माराथी अन्य एवा क्रोधादि परभावोना स्वामीपणे जरापण परिणमतो नथी, माटे
ममतारहित छुं. रागादि कोई अन्यभाव मारा धर्मनुं साधन थाय–एवी ममता मने
नथी. रागादि भावोनी साथे मारे कर्ता–कर्मपणानो संबंध जरापण नथी. हुं तो
पण तेनाथी भिन्न ज्ञानपणे ज परिणमे छे; स्वभावथी ज हुं परिपूर्ण ज्ञान–
दर्शनमय छुं.–जुओ, धर्मी जीव आत्मानो आवो निर्णय करे छे. अने आवा
आत्माना अनुभव वडे ज आत्मा आस्रवोथी छूटे छे.
संसार छूटे नहीं. संसार ए कोई बहारनी वस्तु नथी पण जीवमां अज्ञानवडे ऊभो
थयेलो आस्रवभाव ते ज संसार छे. अने ज्ञानवडे ते आस्रव छूटतां संसार छूटी जाय छे.
श्रावण वद नोम ने मंगळवार ता. २९–८–६७ सुधी चालशे. वर्गमां आववा
ईच्छता जिज्ञासु भाईओए नीचेना सरनामे सूचना मोकली देवी–