धर्मात्मा समस्त रागथी पोताना चिदानंदतत्त्वने जुदुं जाणे छे, रागना
चैतन्यतत्त्वने जाणीने, तेमां अंशे एकाग्र थतां अव्रतोनो त्याग थई जाय छे. अने
पछी तेमां विशेष लीन थतां अव्रतोनी माफक व्रतोनो शुभराग पण छूटी जाय छे.
जेम अव्रतना अशुभभावो बंधनुं कारण छे तेम व्रतना शुभभावो पण बंधनुं
कारण छे, ते पण आत्मानी मुक्तिना बाधक छे, तेथी मोक्षार्थीने ते पण हेय छे.
जेम लोढानी बेडी पुरुषने बंधनकर्ता छे तेम सोनानी बेडी पण बंधनकर्ता ज छे,
जीवने बंधनकर्ता ज छे–एम जाणीने मोक्षार्थी जीवे ते बंने छोडवा जेवा छे. पुण्य ते
आत्मानी मुक्तिमां बाधकरूप छे– विघ्नरूप छे छतां तेने जे मोक्षनुं कारण माने छे ते
मिथ्याद्रष्टि छे, ते बंधना कारणने मोक्षनुं कारण माने छे, एटले खरेखर तेणे बंध–
मोक्षना स्वरूपने जाण्युं नथी.
फेर छे. साधकने नीचली भूमिकामां ते व्रतादिनो राग छूटे नहि, पण ते रागने