Atmadharma magazine - Ank 284
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९३ आत्मधर्म : ३३ :
गतांकना प्रश्नोना जवाब
(१) तमारो मुख्य गुण क्यो?
हुं जीव छुं; ज्ञान मारो मुख्य गुण छे. मारामां गुण अनंत छे, पण तेमां मुख्य
ज्ञान छे.
(२) जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश ने काळ ए छए द्रव्योमां अस्तित्व गुण
छे; केमके अस्तित्व ते सामान्य गुण छे एटले बधाय द्रव्योमां ते होय छे.
(३) सम्मेदशिखर ते भारतनुं सौथी महान तीर्थ छे. त्यांथी अनंता जीवो मोक्ष
पाम्या छे. त्यांथी मोक्ष पामनारा तीर्थंकरोमां सौथी छेल्ला पार्श्वनाथ तीर्थंकर
मोक्ष पाम्या छे. अने तेमना नाम उपरथी आ पहाडने ‘पारसनाथ हील’ पण
कहेवाय छे. त्यारपछी चोवीसमा महावीर तीर्थंकर थया तेओ पावापुरीथी मोक्ष
पाम्या छे; नेमप्रभु गीरनारथी, वासुपूज्यप्रभु मंदारगिरि (चंपापुर) थी,
ऋषभदेव कैलास उपरथी मोक्ष पधार्या छे. बाकीना २० तीर्थंकरो
सम्मेदशिखरथी मोक्ष पाम्या छे.
(४) आपणा बालविभागना सभ्योए तेमज बधाय जैनोए करवा जेवी त्रण वात– हंमेशा जिनेन्द्रभगवानना दर्शन करवा.
।। तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करवो.
।।। रात्रिभोजननो त्याग करवो.
(आ प्रश्नना जवाबमां घणा बाळकोए सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र लखेल छे, तथा
घणाए आत्मार्थीता, वात्सल्य अने देव–गुरु–धर्मनी सेवा लखेल छे. ते पण सारी भावना
छे.) बंधुओ, तमे आ त्रण वात करजो अने तेनो खूब प्रचार करजो. जय जिनेन्द्र
वांकानेर वगेरेना कोई कोई सभ्योना नाम भूलथी बे वार लखायेल, तेथी
तेमने भेटपुस्तक पण बे वार मळेल, ते बाळकोए वधारानुं पुस्तक पाछुं मोकल्युं तेमज
पोतानुं बीजी वखतनुं नाम रद कराव्युं. तेमनी आ प्रकारनी चीवट अने सहकार बदल
धन्यवाद! बधा बालसभ्यो बालविभागने पोतानो ज समजीने जे रीते उत्साहथी
सहकार आपी रह्या छे–ते हर्षनी वात छे.