: जेठ : २४९३ आत्मधर्म : ३७ :
छे. आ शरीर तो पुद्गल छे, पण आ बधायने जे ज्ञान जाणे छे ते ज्ञानमां जीव रहे छे.
दरेक वस्तु पोतपोताना गुणोमां वसे छे, जीव पोताना ज्ञानगुणमां वसे छे.
प्रश्न:– मारे मोक्षमां जवुं छे तो केवी रीते जवाय? (जयेन्द्र जैन)
उत्तर:– सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनी आराधना करवाथी मोक्षदशा प्रगटे. मोक्ष
मेळववा माटे बीजे क्यांय बहार जवानी जरूर नथी, आत्मामां ज रहीने मोक्षदशा
प्रगट थाय छे.
प्रश्न:– जीवनी १४ मार्गणा छे, तेमांथी समकित–मार्गणानां छ स्थान कह्यां छे, ते
क्या क्या? (अरविंद जे. जैन मोरबी)
उत्तर:– सम्यक्त्वनी अपेक्षाए जीवने शोधवो होय तो ते सम्यक्त्वना छ
स्थानोमांथी कोई एक स्थानमां होय. सम्यक्त्वनां छ स्थानो–क्षायिक सम्यक्त्व, उपशम
सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक, सम्यक्त्व, मिश्र सासादन अने मिथ्यात्व. मिथ्यात्व ते पण
सम्यक्त्वनी विपरीत दशा छे, एटले सम्यक्त्वमार्गणामां ते प्रकार पण बताववो
जोईए. ए ज रीते ज्ञानमार्गणामां अज्ञानवाळा जीवोनुं पण वर्णन आवे;
कषायमार्गणामां अकषायीजीवोनुं पण वर्णन आवे.–जीवोना बधा प्रकारोनी ओळखाण
कराववानी आ रीत छे.
* उमराळाथी जयेश जैन (No. ४००) लखे छे के–मने मारुं जन्मदिवसनुं कार्ड
ने भगवाननो फोटो मळ्यो–अने खूब ज आनंद थयो छे. हुं अहीं हंमेशां गुरुदेवनी
जन्मभूमिमां जिनेन्द्रभगवानना दर्शन करवा जाउं छुं.
* राजकोटथी भरतकुमार जैन (स. नं. ४०) लखे छे के–“जन्मदिवसनुं कार्ड
अने गुरुदेवनो फोटो मळवाथी अत्यंत आनंद थयो छे. मने तो लागे छे के आजे मारो
तो पहेलवहेलो ज जन्मदिवस थयो. आ दिवसे गुरुदेवश्रीना आशीर्वाद तेमज
साधर्मीबंधुना प्रेमथी आजना नवा वर्षथी धर्मप्रत्ये विशेष लागणी थाय छे. नवा
जन्मदिनना दिवसे गुरुदेवने कोटिकोटि वंदनपूर्वक खुशालीमां पंदर रूपिया
बालविभागने भेट मोकल्या छे.”
* लींबडीथी तरुणाबेन जैन (स. नं. ६८) लखे छे–मने जे वातनो ख्याल न
हतो ते जन्मदिवसना कार्डथी अने पू. भगवती माताओना फोटाना दर्शनथी थयो.
मनुष्यजन्मनुं महत्व मने आज सुधी समजायुं न हतुं. गुरुदेवना भक्त थया पछी