
तेमणे पण भगवानना प्रथम उपदेशथी संबोधित थईने भगवानना चरणोमां
मुनिदीक्षा धारण करी ने तेओ भगवानना प्रथम गणधर थया; भगवानना जे पुत्र
हता ते ज तेमना धर्मपुत्र (गणधर) थया; ने सात ऋद्धि तथा चार ज्ञानवडे शोभी
ऊठया; आ उपरांत आहारदान देनारा राजा सोमप्रभ, श्रेयांसकुमार तथा अन्य
राजाओ पण दीक्षा लईने भगवानना गणधर थया. भगवाननी पुत्री अने भरतनी
नानी बहेन ब्राह्मीदेवी पण भगवान समीप दीक्षित थईने आर्यिकाओना संघना
गणिनी बन्या, देवोए पण तेनी पूजा करी. भगवाननी बीजी पुत्री ने बाहुबलीनी
सहोदरा सुंदरीदेवीए पण प्रभुचरणोमां वैराग्यपूर्वक दीक्षा लीधी; बीजा पण केटलाय
राजाओ, राजकुमारो ने राजपुत्रीओए संसारथी भयभीत थईने दीक्षा धारण करी.
श्रुतकीर्ति नामना अतिशय बुद्धिमान पुरुषे श्रावकव्रत ग्रहण कर्या, ने देशव्रती
श्रावकोमां ते श्रेष्ठ थया; ए ज रीते पवित्र अंतःकरणवाळी सती प्रियव्रताए
श्राविकानां व्रत धारण कर्या ने श्राविकाओमां ते श्रेष्ठ थई. आ रीते भगवान
ऋषभदेवना शासनमां आ भरतक्षेत्रमां मुनि–अर्जिका–श्रावक ने श्राविकारूप
चतुर्विधसंघनी स्थापना थई.
तत्त्वनुं यथार्थ स्वरूप समजीने फरीथी दीक्षित थया ने भावलिंगी मुनि थया. बीजा
अनेक उत्तम राजाओए पण दीक्षा लीधी; तेमां भगवानना पुत्र अनंतवीर्य (भरतना
भाई) पण भगवान पासे दीक्षा लईने, अल्पकाळमां केवळज्ञान प्रगटावी आ
अवसर्पिणी युगमां सौथी पहेला मोक्ष पाम्या. देवोए पण तेमनी पूजा करी. आ रीते
भगवाननी दिव्यध्वनि शरू थतां भरतक्षेत्रमां मोक्षनां दरवाजा खुल्यां.
दर्शनविशुद्धि