
करता आकाशमां चालवा लाग्या. भगवान ज्यां ज्यां पधार्या त्यां सर्वत्र आनंद फेलाई
गयो; आकाश अने पृथ्वी पण प्रसन्न थईने भगवानना आगमननी सूचना देता हता.
हजार आरावाळुं तेजस्वी धर्मचक्र सौथी आगळ चालतुं हतुं. अष्टमंगळ, धर्मध्वज अने
जता हता. ए रीते आकाशरूपी सरोवर पण कमळोथी खीली जतुं हतुं. भरतभूमिमां
मंगल विहार करीने भगवान ऋषभदेवे धर्मामृतनी वर्षा करी अने भव्यजीवोने तृप्त
कर्या; पछी कैलासपर्वत उपर पधार्या.
ऋषभदेव जेवा दादा मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
बाहुबली जेवा बांधव मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
चंदनबाळा जेवी बेनी मळी मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
सीमंधरनाथ जेवा देव मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
कुंदकुंद जेवा गुरु मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
समयसार जेवा शास्त्र मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
कहानगुरु जेवा संत मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
बेनश्री–बेन जेवा माता मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
सिद्धप्रभु जेवा सगा मळ्या मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
भगवान जेवो आत्मा मळ्यो मने...सुखनो सूरज ऊगीयो...
साधर्मी साहेली आनंद करो सौ...सुखनो सूरज ऊगीयो...