
साचो मोक्षमार्ग नथी.
तो कहे छे के आ शरीर ते मोक्षनुं कारण छे–दिगंबरदशारूप लिंग ते मोक्षनुं कारण छे.
अहीं तो पूज्यपादस्वामी कहे छे के देह ते तो संसारनुं निमित्त छे, मोक्षनुं कारण तो
आत्मा छे, देह कांई मोक्षनुं कारण नथी. शरीर तो भवनी मूर्ति छे, देहनुं लक्ष तो मोक्ष
जतां रोके छे.
संसारथी छूटतो नथी. अहीं तो ‘देह ते तो भव छे,–शरीर ज आत्मानो संसार छे’ एम
कहीने आचार्यदेव देहने मोक्षना निमित्तपणामांथी पण काढी नांखे छे, देह तो संसारनुं
ज निमित्त छे. केमके जे अज्ञानी जीव देहनी क्रियाने पोतानी माने छे तेने तो देह
उपरनी द्रष्टिथी संसार ज थाय छे, तेथी तेने तो शरीर ते संसारनुं ज निमित्त थयुं,
मोक्षनुं निमित्त तेने न थयुं. देहथी भिन्न आत्माना चिदानंद स्वभावने जाणीने, तेमां
एकाग्रतावडे जेओ रत्नत्रयने आराधे छे तेओ ज मुक्ति पामे छे. अने तेमने माटे
शरीरने मोक्षनुं निमित्त कहेवाय. जुओ खुबी! देहनुं लक्ष छोडीने आत्माने मोक्षनुं
साधन बनावे तेने देह मोक्षनुं निमित्त कहेवाय, अने देहने ज जे मोक्षनुं साधन मानीने
शरीरना आश्रये संसार ज थाय छे. अज्ञानी कहे छे के शरीरथी मोक्ष थाय! अहीं कहे छे
के शरीर ते ज भव छे–संसार छे. जेने ज्ञानानंद चैतन्यतत्त्वनुं भान नथी ने देहना लक्षे
रोकाया छे तेओ संसारमां ज रखडे छे. व्रतना विकल्पो मोक्षनुं कारण नथी, ने शरीरनो
दिगंबरभेख ते पण मोक्षनुं कारण नथी.