Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 11 of 75

background image
: ४ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
ब्रह्मचारी बहेनो थया छे.–ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा प्रसंगे सौए हर्षथी अनुमोदना करी
हती. तथा संस्था तरफथी दरेक ब्रह्मचारी बहेनने अभिनंदन साथे चांदीनो ग्लास तथा
साडी–पू. बेनश्री–बेनना सुहस्ते भेट आपवामां आव्या हता. बीजा पण घणा जिज्ञासु
भाई–बहेनोए विधविध भेटो जाहेर करीने हार्दिक अनुमोदन आप्युं हतुं.
भारतना ईतिहासमां विरल एवी ब्रह्मचर्यदीक्षाना आवा प्रसंगो गुरुदेवना
प्रतापे अवारनवार बन्या करे छे. विषयकषायोथी भरेला अत्यारना हडहडता
वातावरणमां पचास जेटला कुमारिका बहेनोनी ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञाना आवा प्रसंगो
संसारने चुनोती आपे छे के अरे जीवो! सुख विषयोमां नथी, सुख तो
अध्यात्मजीवनमां छे...सुखने माटे विषयोने ठोकर मारीने ज्ञानी–संतनी छायामां आवी
आत्मसाधनामां जीवनने जोडो.
आ बधा बहेनोए आत्महितने माटे जीवन समर्पण करवानुं जे साहत प्राप्त कर्युं
छे तेमां पू. गुरुदेवना वैराग्यरसभीना आत्मस्पर्शी उपदेशनो तो मुख्य प्रभाव छे ज;
ते उपरांत पू. बे पवित्र बहेनोनी शीतलछाया ने वात्सल्यभरी हूंफे ते बहेनोना
जीवनमां आ सामर्थ्य आप्युं छे. पू. बेनश्री चंपाबेन, अने पू. बेन शान्ताबेन–ए बंने
धर्ममाताओनुं धर्मरंगथी रंगायेलुं सहज जीवन तो नजरे जोवाथी ज जिज्ञासुने
ख्यालमां आवी शके. ए बंने बहेनोनी पवित्रता, अनुभव संस्कार, वैराग्य तेमज देव–
गुरु–धर्म प्रत्येनी अपार भक्ति, अर्पणता, विनय ने वात्सल्य–ए बधा गुणो मुमुक्षुने
आनंद उपजावे छे ने भक्ति जगाडे छे. तेओश्रीनी छत्रछायाने लीधे ज नानी वयना
बहेनो मातापिताने छोडीने आवी हिंमत करी शक्या छे. तेओ अपार वात्सल्यपूर्वक
जीवनमां निरंतर ज्ञान–वैराग्यनुं सींचन करी रह्या छे. आ रीते जीवनमां पू.
धर्ममाताओनो पण महान उपकार छे. तेओश्रीनुं आदर्शजीवन सहेजे ज्ञानवैराग्यनी
प्रेरणा आपे छे.
उपस्थित समाजनी वती ब्रह्मचारी बहेनो प्रत्ये शुभेच्छा अने अभिनंदनरूपे
विद्वान वडील भाईश्री हिंमतलाल जे. शाहे एक भावभीनुं भाषण कर्युं हतुं; तेमां
ब्रह्मचर्य लेनार बहेनोए केवा भावथी आ कार्य कर्युं छे ते बताव्युं हतुं तथा सत्संगनो
महिमा जणाव्यो हतो. तेमनुं भावभीनुं प्रसंगोचित प्रवचन सांभळीने सौने प्रसन्नता
थई हती. आ उपरांत बहारगामथी पण अनेक अभिनंदन–सन्देशा आव्या हता. आजे
पू. गुरुदेवने आहारदान ब्रह्मचर्य आश्रमना स्वाध्यायभवनमां ब्रह्मचारी बहेनो
तरफथी थयुं हतुं. आश्रमनुं वातावरण घणुं हर्षोल्लासमय हतुं.