Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९३ आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : प :
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा लेनार आ बहेनो लांबा समयथी पू. गुरुदेवना उपदेशनुं
श्रवण करे छे; ते उपरांत अनेक शास्त्रोनो अभ्यास करे छे. दर्शन–पूजनादि कार्यो
नियमितपणे करे छे; रात्रिभोजनत्याग वगेरे योग्य आचारोनुं पालन करे छे.
सत्समागमे रहीने आत्महितनी भावनाथी ब्रह्मचर्यजीवन गाळवानो निर्णय सौए
पोताना द्रढ विचारबळथी कर्यो छे. अमारी आ साधर्मी बहेनो प्रत्ये हार्दिक
वात्सल्यभरेला अभिनंदनपूर्वक, संतोनी शीतल छायामां आत्मप्रयत्न जगाडी सौ
पोताना जीवनध्येयने जलदी प्राप्त करीए...एवी शुभेच्छा
– ब्र. ह. जैन
ब्र. बहेनो प्रत्ये माननीय प्रमुखश्री तरफथी
शुभेच्छा–सन्देश
श्रावण वद एकमे ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा लेनारा नव कुमारिकाबहेनो प्रत्ये
शुभेच्छानो सन्देश पाठवतां माननीय प्रमुखश्री नवनीतलाल सी. झवेरी लखे छे के–
श्रावण वद एकम ए तमारा जीवननी धन्य पळ छे के ज्यारे परम पूज्य
गुरुदेवना उपदेशनुं सार्थक्य तमारा जीवनमां उतारवा तमे भाग्यशाळी थया छो. परम
हितकारी जैनधर्म एटलो महान छे के जे कोई जीव पोताना जीवनमां तेने अंगीकार करे
छे तेनुं जीवन कृतकृत्य थई जाय छे. पंडित श्री दोलतरामजीए कह्युं छे–
यह मानुषपर्याय सुकुल सुनिवो जिनवानी,
यह विध गये न मिले सुमणि ज्यों उदधि समानी।
धन समाज गज बाज राज तो काज न आवै,
ज्ञान आपको रूप भये फिर अचल रहावै;
तास ज्ञानको कारन स्व–पर विवेक बखानौ,
कोटि उपाय बनाय भव्य ताको उर आनौ।।
तमे पण आवी उत्तम भावनाथी ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा अंगीकार करी छे; तेमां
आगळ वधो अने आवुं ज्ञान प्राप्त करीने तमे तमारा जीवनने धन्य बनावो–एवी
शुभेच्छा साथे अभिनंदन पाठवुं छुं.
– नवनीतलाल जवेरी