: श्रावण : २४९३ आत्मधर्म: ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : १प :
माता पासे जईने अत्यंत हर्षपूर्वक समवसरणनी शोभानुं ने आदिनाथ भगवाननुं
वर्णन करवा लाग्या.
“कैलासगिरि पर ऋषभजिनवर पदकमल हिरदे धरूं”
कैलासनी यात्रा करीने अयोध्यानी नजीक आवतां भरतनुं चक्र अटकी गयुं,
केमके ९९ भाईओ हजी अणनम हता; तेओए भगवान आदिनाथ सिवाय बीजाने न