: २८ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
हाले–चाले–बोले छे, ते क्रिया आत्माथी थई नथी; आत्माए तो तेने जाणवानी क्रिया
करी छे. आ रीते जड–चेतननी भिन्न भिन्न क्रियाओ छे. जड–चेतननी क्रियानो आवो
भेद–तफावत नहि जाणनार अज्ञानी जीव ते बंनेने एकपणे मानीने संसारमां
परिभ्रमण करे छे.
(वीर सं. २४८२ श्रावण सुद सातम: रविवार)
जुओ, आ भेदज्ञाननी वात चाले छे. जड–चेतननी भिन्नतानुं जेने ज्ञान नथी
तेने कदी समाधि थती नथी.
आत्मा ज्ञानस्वरूप छे; तेनी क्रिया तो जाणवारूप ज छे. अने शरीर जडस्वरूप
छे ते स्वयं हालवा–चालवानी क्रियावाळुं छे पण तेनामां देखवानी क्रिया नथी. आत्मा
अने शरीर बंने पदार्थो भिन्न भिन्न छे. बंनेनी क्रियाओ पण भिन्न भिन्न छे. शरीर
ऊंचुं–नीचुं थाय–व्यवस्थित पग ऊपडे, भाषा बोलाय ते बधी जडनी क्रिया छे, जड
आंधळा स्वयं चाले छे, ने त्यां ते–ते क्रियानुं जे ज्ञान थाय छे ते ज्ञान आत्मानी क्रिया
छे. पण अज्ञानी कहे छे के ‘में शरीरनी क्रिया करी; हुं बोल्यो, में जाळवीने पग
मूक्यो.’–एवी भ्रमणाने लीधे ते अज्ञानी शरीरादि बाह्यपदार्थोमां ज उपयोगनी एक्ता
करे छे, पण शरीरथी भिन्न आत्मामां उपयोगने जोडतो नथी. तेने अहीं समजावे छे के
अरे मूढ! जड अने चेतननी क्रियाओ भिन्नभिन्न छे; तारी क्रिया तो जाणवारूप छे,
शरीरनी क्रियाओ तारी नथी. माटे शरीरादि जड साथेनो संबंध तोड ने चैतन्यस्वभाव
साथे संबंध जोड!
जड–चेतनना भेदज्ञान माटे अहीं आंधळा अने लंगडानुं सरस द्रष्टांत आप्युं
छे. आंधळामां हालवा–चालवानी ताकात छे पण मार्ग देखवानी ताकात नथी; तेना
खभा उपर लंगडो बेठो छे, तेनामां जाणवानी ताकात छे पण देहने चलाववानी ताकात
नथी. आंधळो चाले छे ने लंगडो देखे छे. त्यां चालवानी क्रिया कोनी छे?–आंधळानी
छे. देखवानी क्रिया कोनी छे? लंगडानी छे. ए रीते बंनेनी क्रिया भिन्नभिन्न छे. तेम
शरीर जड आंधळुं छे, तेनामां स्वयं हालवा–चालवानी ताकात छे, पण जाणवा–
देखवानी ताकात तेनामां नथी. तेनी साथे एकक्षेत्रे आत्मा रहेलो छे, तेनामां जाणवा–
देखवानी ताकात छे पण शरीरने चलाववानी ताकात तेनामां नथी. शरीर तेना
स्वभावथी ज हाले–चाले छे, ते जडनी क्रिया छे, ने तेने जाणे छे ते आत्मानी क्रिया छे.–
आम जड–चेतन बंनेनी भिन्नभिन्न क्रियाओ छे. आवी भिन्नताने जे जाणे तेने शरीरथी
उपेक्षा थईने आत्मसमाधि थाय छे.
प्रश्न:– आंधळाने तो कांई खबर नथी, एटले लंगडो ज तेने मार्ग बतावीने
हलावे–चलावे छे; तेम शरीर तो जड छे, तेने कांई खबर नथी, आत्मा ज तेनी
क्रियाओ करे छे!