वर्षमां आ चोथो ब्रह्मचर्य–अंक प्रसिद्ध थाय छे त्यारे
ए अढार वर्षना उत्तम प्रसंगो आजे फरीने ताजा
थाय छे. पू. गुरुदेवनो अध्यात्मउपदेश अने पू.
धर्ममाताओनी वात्सल्यझरती छाया जिज्ञासुओना
जीवनमां ज्ञान–वैराग्यनुं केवुं अद्भुत सींचन करी
रह्या छे, अने तेमना प्रतापथी जिज्ञासुओ केवा
उत्साहथी हितमार्गनी प्रेरणा मेळवी रह्या छे! ते
वातने आवा उत्तम प्रसंगो अत्यंत प्रसिद्ध करी रह्या
छे. ज्ञानीजनोना संगमां वसतां जीवनमां ज्ञान
वैराग्यनी पुष्टी थया ज करे छे. आवा धर्मात्माने
देखतां मुमुक्षुहृदयमां अनेरो हर्ष उल्लसे छे. आ
विशेषअंक द्वारा परमउपकारी सन्तो प्रत्ये भक्तिभरी
उपकार–अंजलि अर्पण करीए छीए.