Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
शांतिनाथ भगवानना पूर्वभवोमां–
तत्त्वज्ञान अने ब्रह्मचर्यनी परीक्षा
भगवान श्री शांतिनाथ प्रभु पूर्वे पांचमा भवमां तेमज त्रीजा
भवमां–बंने वखते तीर्थंकरदेवना पुत्र हता; बंने वखते स्वर्गमां
ईंद्रसभामां ईन्द्रे तेमना गुणोनी प्रशंसा करी हती अने देव–देवी तेमनी
परीक्षा करवा आव्या हता. पांचमा भवमां तेओ क्षेमंकर तीर्थंकरना
पुत्र वज्रयुध्ध हता त्यारे एक देव तेमना तत्त्वज्ञाननी परीक्षा करवा
आव्यो हतो अने त्रीजा भवमां तेओ धनरथ तीर्थंकरना पुत्र मेघरथ
हता, त्यारे बे देवीओ तेमना ब्रह्मचर्यनी परीक्षा करवा आवी हती. ते
धीर–वीर–धर्मात्मा बंने वखते पोताना पवित्र गुणोमां निष्कंप–अडोल
रह्या हता. तेमनुं उत्कृष्ट तत्त्वज्ञान तथा उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य सूचवनारा ए
बे प्रसंगो मुमुक्षु जीवोने ज्ञान अने वैराग्यनी द्रढताना प्रेरक छे ने
आत्मसाधना माटे उत्साह प्रेरे छे;–तेथी ते बे प्रसंगोनुं टूंक वर्णन
अहीं शांतिनाथ–पुराणमांथी आप्युं छे.
(सं.)
–१–
वज्रयुधचक्रवर्तीना भवमां तत्त्वज्ञाननी परीक्षा
जंबुद्वीपमां पूर्व विदेहक्षेत्रमां मंगलावती नामे देश छे, ते देशमां ‘रत्नसंचयपुर’
नगर छे. ते रत्नसंचयपुर नगरमां धर्मात्माओ वसे छे, अने अनेक जिनमंदिरो छे. ते
नगर बहारमां तो, जिनमंदिरोना शिखर उपर जडेला रत्नोना प्रकाशथी शोभी रह्युं छे
अने अंतरंगमां, धर्मात्माओना सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूपी रत्नोथी शोभी रह्युं छे.
ते सुशोभित नगरीमां महा पुण्यवंत, धर्मात्मा क्षेमंकर महाराज राज्य करता हता;
राजा क्षेमंकर धीर अने वीर हता, चरमशरीरी हता, तीर्थंकर हता, ने राज्यमां धर्मनी
मूर्ति समान शोभता हता. तेमने कनकचित्रा नामनी गुणवंती राणी हती.
श्री शांतिनाथ भगवान, पूर्वे पांचमा भवे आ क्षेमंकर महाराजाने त्यां कनकचित्रा
राणीनी कूंखे ‘वज्रयुध’ नामना पुत्र तरीके जन्म्या हता. श्री वज्रयुधकुमार बुद्धिमान
अने महा रूपवान् हता, जैन सिद्धांतना पारंगामी हता, मति–श्रुत–अवधि ए त्रण