लीधी छे; ते माटे ते बहेनोने जेटलो धन्यवाद आपवामां आवे तेटलो ओछो छे.
सोनगढमां रहीने ते बहेनो लांबा वखतथी तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करे छे अने निरंतर
पूज्यपाद सद्गुरुदेवश्रीना व्याख्यानोनो तेम ज भगवती बहेनो–श्री चंपाबहेन अने
शांताबहेनना समागमनो लाभ लई रह्यां छे. लांबा वखतना तत्त्वज्ञानना
अभ्यासपूर्वक एक साथे कुमारिका बहेनोना जीवनभर ब्रह्मचारी रहेवानो आवो
बनाव जैन जगतमां लांबा काळथी बन्यानुं जोवामां आवतुं नथी, तेथी ते जेटलो
प्रशंसनीय छे तेटलो ज विरल छे. ते बहेनोनो हेतु तत्त्वज्ञानना अभ्यासमां आगळ
वृद्धि करवानो छे, ते भावना तेमना ब्रह्मचर्यने विशेष देदीप्यमान बनावे छे.
होय छे अगर तो क्षणिक वैराग्य के सांप्रदायिक हेतु वगेरे होय छे, पण जेनी पाछळ
परम सूक्ष्म तत्त्वज्ञानना लांबा वखतना अभ्यासनुं बळ होय अने जेनी साथे ते ज
प्रकारना तत्त्वज्ञानने विशेष विस्तृत करवानी भावना होय–एवो बनाव हालमां
जोवामां आवतो नथी. ज्यारे आ पुण्यभूमिमां तीर्थंकर भगवंतो विचरता हता अने
तेमना