Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ४६ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
१८ वर्ष पहेलां छ कुमारिका बहेनोनी
परम पूज्य सद्गुरुदेवना सत्संगनो लाभ लेवाना हेतुथी सोनगढमां आवीने
रहेला कुमारिका बहेनोए पू. सद्गुरुदेवश्री समीपे आजीवन ब्रह्मचर्य पाळवानी प्रतिज्ञा
लीधी छे; ते माटे ते बहेनोने जेटलो धन्यवाद आपवामां आवे तेटलो ओछो छे.
सोनगढमां रहीने ते बहेनो लांबा वखतथी तत्त्वज्ञाननो अभ्यास करे छे अने निरंतर
पूज्यपाद सद्गुरुदेवश्रीना व्याख्यानोनो तेम ज भगवती बहेनो–श्री चंपाबहेन अने
शांताबहेनना समागमनो लाभ लई रह्यां छे. लांबा वखतना तत्त्वज्ञानना
अभ्यासपूर्वक एक साथे कुमारिका बहेनोना जीवनभर ब्रह्मचारी रहेवानो आवो
बनाव जैन जगतमां लांबा काळथी बन्यानुं जोवामां आवतुं नथी, तेथी ते जेटलो
प्रशंसनीय छे तेटलो ज विरल छे. ते बहेनोनो हेतु तत्त्वज्ञानना अभ्यासमां आगळ
वृद्धि करवानो छे, ते भावना तेमना ब्रह्मचर्यने विशेष देदीप्यमान बनावे छे.
(२) हाल समाजमां अने जैन फीरकाओमां कुमारिका बहेनोए ब्रह्मचर्य ग्रहण
कर्याना बनावो क्यारेक क्यारेक जोवामां आवे छे, पण तेनी पाछळ लौकिक सेवानो हेतु
होय छे अगर तो क्षणिक वैराग्य के सांप्रदायिक हेतु वगेरे होय छे, पण जेनी पाछळ
परम सूक्ष्म तत्त्वज्ञानना लांबा वखतना अभ्यासनुं बळ होय अने जेनी साथे ते ज
प्रकारना तत्त्वज्ञानने विशेष विस्तृत करवानी भावना होय–एवो बनाव हालमां
जोवामां आवतो नथी. ज्यारे आ पुण्यभूमिमां तीर्थंकर भगवंतो विचरता हता अने
तेमना