संत केरी शीतल आ छांयडी
Photo:Poonam Sheth
पू. बेनश्रीबेननी चरणछायामां नव ब्र. बहेनो.
हंसाबेन, मैनाबेन, सुशीलाबेन, सुरेखाबेन, ईन्दिराबेन,
विमलाबेन, निर्मलाबेन, विमलाबेन, रमाबेन
तमे आत्महितना हेतुए जीवन गाळजो...देव–गुरु–शास्त्र प्रत्ये भक्ति
अने बहुमान वधारजो...अरसपरस एकबीजानी बहेनो हो–ए रीते वर्तजो ने
वैराग्यथी रहेजो...एमां शासननी शोभा छे. आत्मानुं कल्याण केम थाय...ने ते
माटे पू. गुरुदेव शुं कहे छे तेनो विचार करवो. स्वाध्याय अने मनन वधारवुं,
ब्रह्मचर्यजीवनने लीधे आत्माना विचारने माटे निवृत्ति मळे छे एम गुरुदेव
वारंवार कहे छे, माटे निवृत्ति लईने स्वाध्याय–मनन करवुं. आम तमारे
तमारा जीवनमां आत्मानुं कल्याण करवानुं लक्ष राखवुं...
(ब्रह्मचर्य अंक नं. २ मांथी) (पू. माताजीनी शिखामण)