पू. बेनश्री–बेननी मंगलछायामां वसतां मुमुक्षुओ अंतरनी
माता करतां पण वधु हेतथी दिनरात आप अमारा हितनी संभाळ
राखी रह्या छो. ज्ञान–वैराग्यनो सन्मार्ग बतावीने एवा जीवनना
संस्कारोनुं सींचन करीने आप अमारा उपर महान उपकार करी
एवी भावना भावीए छीए के
Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).
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