करे–एवो पण स्वभाव नथी. आत्माने कांई आपे एवो स्वभाव जडमां नथी, ने
जडमांथी कांई ल्ये एवो स्वभाव आत्मामां नथी. आत्माने परनी साथे कारण–
कार्यपणानो अभाव छे. कारण–कार्यनी वात काढी नांखीने परनी साथेनो संबंध ज
तोडी नाख्यो, एटले हवे पोताना त्रिकाळी द्रव्य–गुण साथे ज पर्यायनो संबंध थयो,
पर्याय परथी पाछी वळीने स्वद्रव्य तरफ वळी; पोताना शुद्ध द्रव्यगुणमां एकाग्र थतां
पर्याय पण तेवी निर्मळ थई. ते पर्यायमां परनी साथे (रागनी साथे) कारण–
कार्यपणानो कांई संबंध नथी. आनुं नाम धर्म, ने आ मोक्षनो मार्ग.
नहीं भोक्ता तुं तेहनो, ए ज धर्मनो मर्म.
नहीं भोक्ता तुं तेहनो, एज धर्मनो मर्म.
कार्य नथी–एवी भिन्नताना भान वडे ज्यां राग साथे एकताबुद्धिनो अध्यास छूटी
गयो त्यां धर्मीजीव ज्ञानरूपे ज परिणमे छे, ते रागादिनो कर्ता–भोक्ता थतो नथी.
आवी दशा प्रगटे तेनुं नाम धर्म छे.
कर्ता न, कारयिता न, अनुमंता हुं कर्तानो नहीं. (१६०)