Atmadharma magazine - Ank 288
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: १४ : आत्मधर्म : आसो : २४९३
जाणवानुं मानतो हतो तेथी अहीं कह्युं के ‘ज्ञाने करीने जाणीयुं रे...’–शुं जाण्युं? हुं शुद्ध
उपयोगस्वरूप अविनाशी आत्मा छुं–एम जाण्युं; अने एम जाण्युं एटले, ‘हुं रागी छुं,
हुं्र पर निमित्तथी समजुं छुं’ एवी जे मिथ्यामान्यता हती ते टळी गई. अने अवस्थामां
रागादि होवा छतां तेटलो ज पोताने न स्वीकारतां ‘हुं शुद्ध उपयोगमय शाश्वत छुं–एम
स्वीकारीने पोताना स्वभाव तरफ वळ्‌यो, एटले बंने पडखानुं ज्ञान थईने
स्वसन्मुखतारूप सम्यक् एकांत थयुं. राग अने ज्ञानस्वभाव बंनेने जाण्या खरा, पण
राग ते हुं नहि ने ज्ञान ते ज हुं–एम ज्ञान तरफ ढळतां सम्यक् एकांत थयुं.
नीचली अवस्थामां राग तद्न टळी जतो नथी, रागादि भावो थाय छे खरा.
पण ते रागादि होवा छतां तेनाथी आत्माने जाण्यो नथी, पण ज्ञानथी ज जाण्यो छे.
रागथी जुदो पडीने ज्ञानने पोताना स्वभावमां एकत्व कर्युंं ते सम्यक् एकांत छे, ते
मोक्षमार्ग छे, ते धर्म छे. अवस्थामां राग छे, रागना निमित्तो छे, व्यवहार छे, परंतु ते
बधाने जाणीने शुद्ध अभेद स्वभाव तरफ वळवुं ते ज प्रयोजन छे. अहीं शुद्ध–अशुद्ध,
उपादान–निमित्त, निश्चय–व्यवहार अने द्रव्यपर्याय एवा चार प्रकारे बब्बे बोल
समजावीने आत्माने स्वभावनी एकता तरफ वाळ्‌यो छे.
अहीं कोई कहे के आ बधा प्रकारो जाणीने पछी शुं करवुं? तो तेने एम
समजाव्युं छे के आ बधुं जाणीने सम्यक् एकांत एवा निजपदनी प्राप्ति करवा माटे–
(१) अशुद्धतानो आश्रय छोडीने शुद्ध आत्मानो आश्रय करवो.
(र) निमित्तना आश्रयने छोडीने उपादाननो आश्रय करवो.
(३) व्यवहारनो आश्रय छोडीने निश्चयनो आश्रय करवो.
(४) पर्यायनो आश्रय छोडीने द्रव्यनो आश्रय करवो.
वच्चे राग–निमित्त के व्यवहार भले हो, पण धर्मीनुं वलण तो शरूआतथी ज
सम्यक् एकांत एवा शुद्धपदनी प्राप्ति उपर ज छे. साधकदशानी शरूआतथी मांडीने पूर्ण
परमात्मपदनी प्राप्ति थतां सुधी आवुं ज वलण होय छे. वच्चे रागादि व्यवहार अने
भंगभेद आवे ते जाणवा माटे छे, पण तेमां रुचि करीने अटकवा माटे ते नथी. आ
प्रमाणे नित्य–अनित्य, एक–अनेक, अभेद–भेद वगेरे बधा बोलमां समजी लेवुं. पूर्ण
परमात्मपद प्रगटी गया पछी एक तरफ ढळवानुं रहेतुं नथी, तेम ज तेमने नय पण
होतो नथी; त्यां तो द्रव्य–पर्याय बंने अभेद थईने शुद्धपणे ज परिणमी रह्या छे.
वस्तु अनंतगुणनो पिंड छे. ते वस्तु तो