मार्गे आप अनंत सुखधाम एवा सिद्धपदने पाम्या...ने अमने
पण जे मार्ग उपदेश्यो ते मार्गने अनुसरीने अमे पण आपना
पगले पगले आपनी पासे सिद्धालयमां आवीए...एवी
भावनापूर्वक आपने नमस्कार करीए छीए.
Atmadharma magazine - Ank 288
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).
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