: ३४ : आत्मधर्म : कारतक : २४९४
बंधुओ, दीपावलीपर्व आनंदथी उजव्युं हशे. अहीं अमे सोनगढमां तो देव–गुरुनी
छायामां बहु आनंदथी उजव्युं छे. श्रीमहावीर भगवाननां भावभीनां पूजन–भक्ति
कर्या....वीरप्रभु मोक्ष पधार्या तेनुं स्वरूप गुरुदेवे समजाव्युं....ने आपणे पण वीरप्रभुना ए
मोक्षमार्गमां जईए एवी उत्तम भावनाथी सौ साधर्मीओए एकबीजाने अभिनंदन कर्या...आ
वर्षमां आराधना माटेनी ऊंची ऊंची भावनाओ भावी...तमे पण केवी ऊंची ऊंची भावनाओ
भावी –ते जणावजो...ने आ वर्षने आत्मसाधना वडे शोभावजो.... जय जिनेन्द्र
नवा प्रश्नो
(१) जीव अने शरीर, तेमां रूपी कोण? अने
अरूपी कोण?
(२) मरूदेवीमाता, त्रिशलामाता,
शिवादेवीमाता अने अचिरामाता–ए
चारे माताजीना पुत्रोने शोधी काढो
(३) गया अंकना बालविभागमां ‘पांच
गति’ बतावी हती; तो–
महावीर भगवान, सीमंधर भगवान अने
कुंदकुंदाचार्यदेव–ए त्रणे अत्यारे कई गतिमां
बिराजे छे? ते शोधी काढो.
(४) आपणे मोक्षमां जशुं त्यारे नीचेनी दस
वस्तुमांथी आपणी पासे शुं शुं हशे?–
सम्यग्दर्शन, पुण्य, पाप, शरीर, दुःख,
सुख, आस्रव, निर्जरा, ज्ञान, अस्तित्व.
जवाबो वेलासर नीचेना सरनामे लखवा–
संपादक आत्मधर्म, सोनगढ (सौ.)
* दीवाळीना दिवसे *
१. महावीरप्रभुजी मोक्ष पाम्या.
२. गौतमस्वामी केवळज्ञान पाम्या.
३. सुधर्मस्वामी श्रुतकेवळी थया.
* आ अंकनो कोयडो
चार अक्षरनुं नाम छे,
जगजाहेर भगवान छे;
पहेलो ने बीजो अक्षर लेतां
एक महिनो बने छे.
त्रीजो अने चोथो अक्षर लेतां
तेनो अर्थ ‘बहादूर’ थाय छे.
बीजो अने चोथो अक्षर भेगो करतां
बाळकोने डोकमां पहेरवो गमे छे.
तेमना प्रतापे ज दीवाळीने दिवसे
दीवडा प्रगटे छे....
–ए कोण?
(कोयडो मोकलनार: प्रवीणचंद्र जैन नं. १९३६)
पांच वस्तु पूरी करो
गतांकमां पूछेली पांच वस्तुओ नीचे मुजब छे:–
९. पांच श्रुतकेवळी: विष्णुमुनि, नंदिमित्र, अपराजित, गोवर्धन, भद्रबाहुस्वामी (पहेला)
१०. पांच शाश्वतमेरुतीर्थ: सुदर्शनमेरु, अचलमेरु, विजयमेरु, मंदरामेरु, विद्युन्मालीमेरु
११. पांच नाम वीरप्रभुनां: वर्द्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर, सन्मतिनाथ
१२. पांच नाम कुंदप्रभुनां: पद्मनंदी, कुंदकुंद, गृद्धपिच्छाचार्य, वक्रग्रीवाचार्य, एलाचार्य.