१४. पांच प्रकारे अर्थ: शब्दार्थ, नयार्थ, मतार्थ, आगमार्थ, भावार्थ.
१प. पांच ईन्द्रियो: स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, श्रोत्र.
१६. पांच विदेह: जंबुद्वीपमां, पूर्व अने पश्चिम धातकी खंडमां, पूर्व अने पश्चिम
(राजगृहीनगरीना पांच पहाडमांथी विपुलाचल पर्वत उपर महावीर भगवाननी
समवसरण आ नगरीमां आव्या छे. मुनिसुव्रतनाथना चार कल्याणक अहीं थया छे.
श्रमणगिरिने सुवर्णगिरि अथवा सोनागिरि पण कहेवाय छे. षट्खंडागमनी धवला टीकामां
तेमज तिलोयपण्णत्तिमां आ पांच पहाडीनां नाम आ प्रमाणे आवे छे– (१) ऋषिगिरि (२)
वैभारगिरि (३) विपुलाचल (४) छिन्न अने (प) पाण्डु. –आ पांच पहाडने कारणे
राजगृहीनगरीनो ‘पंचशैलनगर’ तरीके पण शास्त्रोमां उल्लेख छे.)
२२. (पांच अस्तिकाय) जीवास्तिकाय, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय.........
२३. (पांच अजीवद्रव्यो) पुद्गल, धर्मास्ति, अधर्मास्ति, काळ,.........
२४. (पांच आचार) दर्शनाचार, चारित्राचार, तपआचार, वीर्याचार,.........
२प. (पांच व्रत) अहिंसाव्रत, सत्यव्रत, अचोर्यव्रत, ब्रह्मचर्यव्रत,.........
२६. (पांच आस्रवो) अव्रत, प्रमाद, कषाय, योग,.........
२७. (पांच पाप) जूठुं, चोरी, अब्रह्मचर्य, परिग्रह,.........
२८. (पांच पांडव) युधिस्थिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव,.........
२९. (पांच भरतक्षेत्र) धातकीखंडमां बे (पूर्व ने पश्चिम), पुष्करद्वीपमां बे.........
३०. (पांच ऐरवतक्षेत्र) जंबुद्वीपमां, पूर्वधातकीखंडमां; पश्चिमधातकीमां, पूर्वपुष्करमां.........