Atmadharma magazine - Ank 290
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 45

background image
कुं द कुं द – अं ज लि
समयसारमां “दर्शावुं एक विभक्त
ए, आत्मा तणा निज विभवथी” –एम
कहीने जेमणे शुद्धआत्मा देखाडयो,
आत्मानो अद्भुत वैभव जेमणे देखाडयो,
एवा मंगलरूप मुनिराज प्रभु
कुंदकुंदस्वामीना ‘आचार्यपदारोहण’ नो
दिवस आ मागशर वद आठमे आवी रह्यो
छे. आपणा गुरुदेव वगेरे उपर, तेमज
भरतक्षेत्रना भव्य जीवो उपर तेओश्रीनो
जे उपकार छे तेने याद करीने अतिशय
भक्तिपूर्वक आपणे सौ तेमने भावभीनी
अंजलि अर्पीए... अने तेओश्रीए
दर्शावेला शुद्धात्मस्वरूपने साधीए...
अने हे गुरुदेव! आपे कृपापूर्वक
सुप्रभातनी बोणीमां ‘सुखधाम’ बताव्युं;
एना ध्याननी धून लगाडी.... अने जे रीते
आत्मलाभ प्राप्त थाय एवी उत्तम प्रेरणा
आपे बेसतावर्षनी बोणीमां
आपी....आपनी आ बोणी अमने महान
लाभनी दातार छे. अमने तो एम थाय छे
के, जेम ऋषभदेवना आत्माने
भोगभूमिमां सम्यक्त्वनी प्राप्तिनो काळ
हतो ने मुनिवरोए त्यां आवीने तेमने
सम्यक्त्व आप्युं, तेम हे गुरुदेव! आ वर्ष
ते अमारुं आत्मलाभनुं वर्ष छे ने आप
अमने आत्मलाभ आपी रह्या छो.
सुप्रभातमां आनंदकारी बोणी आपीने
आत्मलाभदातार एवा हे गुरुदेव!
आपने परम भक्तिथी वंदन... अभिवंदन.