Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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:अषाढ: २४९८ आत्मधर्म :११:
विकल्प तो राग छे–स्थूळ छे, तेमां सम्यग्दर्शनादि देवानी ताकात नथी. विकल्पमां आत्मा
आ रीते शुद्धचैतन्यने अनुभववो–ते ज कार्यसिद्धि छे, ते ज मुमुक्षुनुं खरूं कार्य छे. आवा
आत्मानी ऊर्ध्वता
अद्भुत ज्ञानवैभववाळो आत्मा त्रिलोकनो सार छे. बधा पदार्थोमां
आत्मानी ऊर्ध्वता छे, केमके आत्मा न होय तो जगतने जाणे कोण?
जगत छे–एम तेना अस्तित्वनो निर्णय आत्माना अस्तित्वमां ज थाय
छे. जगतनो जाणनार एवो जे ज्ञानस्वरूप आत्मा, तेना अस्तित्वना
स्वीकार वगर जगतना कोई पदार्थना अस्तित्वनो निर्णय थई शके
नहीं. माटे बधा पदार्थोमां आत्मानी ऊर्ध्वता छे.