: पोष : २४९४ आत्मधर्म :१७:
अनुभवनो मार्ग
आत्माना अनुभवनो मार्ग ऊंडो गंभीर अंतरनो छे.
भगवाननो मार्ग ए अनुभवनो मार्ग छे, जैनशासन आत्मानी अनुभूतिमां समाय छे.
जे विकल्प करवामां ज ऊभो छे ने निर्विकल्पतामां आवतो नथी ते ज विकल्पनो कर्ता छे;
विकल्पने पोतारूप जाणे तेने तेनुं कर्तापणुं केम छूटे? अने अंतर्मुख ज्ञानभावमां आव्यो
चैतन्यना प्रवाहमां वच्चे विकल्पनुं कर्तृत्व रहेतुं नथी. ने जे जीव विकल्पना प्रवाहमां
अरे, चैतन्यना आनंदनी अनुभूति शुं छे –ते विकल्पमां आवती नथी. ‘धर्मात्माने
विचारदशा वखत ज्ञानीने ज्ञान अने विकल्प बंने जुदुं जादुं का्र्य करे छे, ते वखतेय बंने
एक थईने काम करता नथी. ‘निर्विकल्पता वखते ज ज्ञानीने ज्ञान अने विकल्प जुदा छे ने
सविकल्पदशा वखते तेनुं ज्ञान विकल्पथी जुदुं नथी’ –एम नथी. अनुभवपूर्वक रागथी भिन्न
ज्ञान परिणम्युं ते पछी साधकदशामां सदाय (निर्विकल्प के