Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 38 of 45

background image
: पोष : २४९४ आत्मधर्म :३५:
डग....डग....डबक...!
टब....टब....टबक...!
देडकाभाई तो चाल्या जाय छे. एना हैयामां
आनंद मातो नथी. पाछळ श्रेणीकराजानो
हाथी पण चाल्यो आवे छे.
राजा हाथी उपर बेसीने जाय.....ने देडका
भाई कूदता कूदता जाय.....बंनेने
भगवानना दर्शननी भावना छे. बंनेने
भगवान उपर भक्ति छे. होंशे होंशे देडकुं
ठेकडा मारतुं जाय छे.
टब टब टबक...!
डग डग डबक...!
एने आसपासनुं कांई भान नथी; एक ज
एवामां राजाना हाथीनो पग एना
उपर आवी गयो. अरर! देडका उपर
देडकुं देडकुं दोड्युं जाय;
वीर प्रभुने पूजवा जाय;
रस्तामां ए मरी जाय;
मरीने ए देव थाय.
देडकुं तो हाथीना पग नीचे कचडाई
आ बाजु राजा श्रेणिक वैभार पर्वत