Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 45

background image
:६: आत्मधर्म : पोष : २४९४
मूलमें भूल [हिन्दी आवृत्तिः] मूल्य ०–प०
मूळमां भूल (गुजराती आवृत्ति:) किं. ०–७प
(२०) द्रव्यसंग्रह: श्री नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ती जेवा समर्थ आचार्यद्वारा रचित आ सुप्रसिद्ध
पुस्तक जैन सिद्धांतनुं सरस प्रतिपादन करे छे. टूंकामां घणो सार भरी दीधो छे.
पाठशाळानुं पाठ्यपुस्तक छे, ने नानामोटा सौने उपयोग छे: तेनो गुजराती अनुवाद
अर्थसहित (अप्राप्त) हिन्दी आवृत्ति रूा. १)
(२१) जैन–बालरामायण: भगवानश्री रामचंद्रजीनी जीवनगाथा रविकीर्तिस्वामीए
‘पद्मपुराण’ मां आलेखी छे–पद्म ए रामचंद्रजीनुं बीजुं नाम छे; एटले पद्मपुराण ए
जैनरामायण छे. तेमांथी संक्षिप्त करीने नानुं पद्मपुराण थयुं हतुं. तेनुं आ गुजराती
भाषांतर छे. बाळकोने खास उपयोगी छे; राम अने सीताजी तेमज रावण वगेरे
संबंधी अनेक भ्रांत धारणाओ दूर करे छे. गुजरातीमां मळतुं नथी. (हिंदीमां सुरतथी
मळे छे. (किं. पचास पैसा.)
(२२) समयसार–पद्यानुवाद: स्वाध्याय माटे उपयोगी; आ पुस्तकनी केटलीये आवृत्ति छपाई
गई छे. लगभग दरमहिनानी वद आठमे समयसारनी समूहस्वाध्याय थाय छे.
(समयसार उपरांत प्रवचनसार, नियमसार ने पंचास्तिकायना पण हरिगीतमां
पद्यानुवाद छपाया छे. अवारनवार ते दरेकनी पण समूहस्वाध्याय थाय छे.)
स्वाध्याय माटेना आ बधा पुस्तकोनो संग्रह “शास्त्रस्वाध्याय” नामना पुस्तकरूपे
प्रगट थयेल छे. किंमत १–प०
(२३) जिनेन्द्रस्तवनमंजरी: (अप्राप्त) विगत माटे जुओ पुष्प नं. ७ मां.
(२४) प्रतिक्रमण: प्रतिक्रमणनुं साचुं स्वरूप समजावतुं आ एक संकलन छे. पर्युषण वगेरेना
दिवसोमां अनेक जिज्ञासुओ आ ‘प्रतिक्रमण’ नो उपयोग करे छे. अनेक आवृत्ति
छपायेल छे. किंमत पचास पैसा.
(२प) वस्तुविज्ञानसार: (हिंदी तेमज गुजराती) पू. गुरुदेवना केटलाक खास प्रवचनो आ
पुस्तकमां छपाया छे; तेनी दशहजार प्रत जिज्ञासुओने भेटरूपे आपवामां आवी हती.
हिंदी फरीने पांच हजार छपाणी छे, –जिज्ञासुओने भेट आपवा माटे.)
(बीजा पुस्तकोना परिचय माटे जुओ पानुं २प)