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मात्र भ्रमणा छे. जेम स्वप्ननी वात खोटी छे तेम तारी वात पण खोटी छे. पोते करेला पुण्य–
पापअनुसार आत्मा पोते स्वर्ग के नरकादिमां जईने पोताना भावनुं फळ भोगवे छे; अने
वीतरागता वडे मोक्ष पामीने सादिअनंत सिद्धदशामां रहीने मोक्षना परमसुखने भोगवे छे.
स्वप्नमां हतो ते ज हुं छुं. ए ज प्रमाणे अज्ञानदशामां भ्रमथी देहात्मबुद्धिने लीधे देहना नाशथी
आत्मानो नाश भासे छे, पण खरेखर आत्मा नाश पामतो नथी, देह छोडीने बीजा देहमां,
अथवा तो देहरहित सिद्धदशामां आत्मा ते ज रहे छे, एटले के आत्मा सत् छे; मोक्षमां पण
आत्मा सत् छे. मोक्षमां आत्मानो अभाव छे–एम नास्तिक लोको माने छे; पण जो मोक्षमां
आत्मानो अभाव होय तो एवा मोक्षने कोण ईच्छे? –पोताना अभावने तो कोण ईच्छे? पोते
पोताना अभावने कोई ईच्छे नहि. मोक्षने तो सौ प्राणी ईच्छे छे, ते मोक्षमां आत्मा परम शुद्ध
आनंददशा सहित बिराजमान छे. कोई पण अवस्थामां आत्माना अभावनी कल्पना करवी ते
मिथ्या छे. जेम स्वप्नमां आत्मानो नाश देखाय छे ते मिथ्या छे, तेम जागृतदशामां पण आत्मानुं
जे मरण देखाय छे ते अज्ञानीनो भ्रम छे. बंनेमां विपर्यासनी समानता छे. आ देहना वियोग
पछी पण आत्मानुं अस्तित्व एमने एम रह्या ज करे छे. आवा सत् आत्मानी मुक्ति प्रयत्नवडे
सिद्ध थाय छे. देहथी भिन्न आत्मानुं शाश्वत होवापणुं जे जाणे तेने मृत्युनो भय रहे नहीं, ‘मारो
नाश थई जशे’ एवो सन्देह तेने थाय नहि. गमे ते परिस्थितिमां पण, देह छूटवा टाणे पण,
धर्मी पोते पोताना भिन्न अस्तित्वने अनुभवे छे; ने आत्मानी आवी आराधना सहित देह छोडे
छे...देह छूटवा टाणेय तेने समाधि रहे छे.
प्रयत्नपूर्वक तेनी भावना भाव्या ज करवी. –केम के–
तस्माद्यथाबलं दुःखैरात्मानं भावयेन्मुनिः।। १०२।।