जीवाभाईने अत्ताभाईनी वात
जीवो :– एला अत्ताभाई! आपणा गामना राजा पासे तो भारे मोटो वैभव!
अत्ता :– अरे, एना करतां तो दिल्हीना प्रधानोनो वैभव चडी जाय!
जीवो :– पण इंग्लेंडनी राणीनो वैभव तो केटलो बधो?
अत्ता :– पण तें अमेरीका जोयुं नथी लागतुं? –त्यां तो घरे घरे मोटरुं होय!
जीवो :– पण शास्त्रमां तो सांभळ्युं छे के एना करतांय देवलोकनो वैभव वधी जाय!
अत्ता :– हा; अने ईन्द्रो तथा चक्रवर्तीनो वैभव तो तेनाथीये अपार छे!
जीवो :– अने छतां सम्यग्द्रष्टि ते वैभवने चाहता नथी!
अत्ता :– एटले एनो अर्थ तो ए थयो के ते बधाय वैभव करतां ‘सम्यग्दर्शन’ नो
वैभव चडी जाय!
जीवो :– हा, जरूर! पण केवळज्ञाननो वैभव तो जगतमां सर्वोत्कृष्ट छे.
अत्ता :– ने एवो ज वैभव आपणी पासे पण छे! तेनी तने खबर छे?
जीवो :– (आश्चर्यथी कहे छे:) हें! शुं आपणी पासे एटलो बधो वैभव! चक्रवर्ती
करतांय वधु!
अत्ता :– हा, तारे जोवो छे ए वैभव!
जीवो :– जरूर! जरूर! झट बतावो.
अत्ता :– ए वैभव कहानगुरुए बताव्यो छे.
जीवो :– पण मने तो बतावो! केवो छे ए अद्भुत वैभव!
अत्ता :– जीवाभाई! ए अद्भुत वैभव जोवो होय तो तमे ‘आत्मवैभव’ पुस्तक
वांचो एटले तमारा अचिंत्य वैभवनी तमने खबर पडशे!
जीवो :– अत्ताभाई! मने जल्दी ए पुस्तक आपो.
अत्ता :–ए तो सोनगढथी मळशे.
जीवो :–केटली एनी किंमत छे?
अत्ता :–आम तो एनी किंमत साडाछ रूा. थई छेे, पण फकत साडात्रण रूा. मां मळे छे.
जीवो :– अरे, भलेने सात बेसे, पण आजेज मंगावी द्यो...मने ए मारो वैभव
जोवानी खूब उत्कंठा छे.
अत्ता :– हमणां ज मंगावी आपुं छुं.
अच्छा–जयजिनेन्द्र