पण घणाय देवो ते चंद्रलोकमां रहे छे.
चंद्रने ईन्द्र कहेवाय छे ने सूर्यने प्रतिन्द्र कहेवाय छे. आ उपरांत ग्रहो–नक्षत्रो ने
ताराओ ते पण ज्योतिषी देवोनां निवासस्थानरूप नगरो छे; तेमां देवो रहे छे.
ऊंचो छे.
छीए ते आ जंबुद्विपमां बे चंद्र अने बे सूर्य छे. ते मेरूपर्वतनी चारे बाजु प्रदक्षिणा करे
छे. तेमने एक प्रदक्षिणा करतां ४८ कलाक जेटलो वखत लागे छे; एटले आजे आपणे
जे चंद्र के सूर्यने जोयो होय तेने फरीने ४८ कलाक बाद जोईए छीए. जे चंद्र–सूर्य काले
देखाया, ते ज आजे नथी देखाता पण बीजा देखाय छे. आ रीते जंबुद्विपमां बे चंद्र ने
बे सूर्य फरी रह्या छे. भरतक्षेत्रमां ने विदेहक्षेत्रमां देखाता सूर्य–चंद्रो जुदा नथी पण
अढी द्वीप बहारना सूर्य–चंद्र स्थिर छे. आ सूर्य अने चंद्रना बिम्ब शाश्वता छे; पण
तेनी अंदर रहेनारा सूर्य अने चंद्र ईन्द्रो मर्यादित आयुष्यवाळा छे, तेमनुं उत्कृष्ट आयु
एक पल्योपमथी कंईक अधिक छे; असंख्य वर्षनुं ते आयुष पुरुं थतां त्यांना सूर्य–चंद्र
ईन्द्रो मनुष्यमां अवतरे छे अने त्यां बीजा जीवो सूर्य–चंद्र तरीके ऊपजे छे. सूर्य–चंद्ररूप
ईन्द्रो श्री जिनेन्द्रदेवनां भक्तो छे.