Atmadharma magazine - Ank 294
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र २४९४ : आत्मधर्म : ११
आम नक्क्ी थतां, खोराक–वस्त्र–मकान–स्त्री–श्वास–हवा वगेरे पदार्थो–तेनाथी
मारुं चेतनपणुं टके एम मानीने तेने मेळववा माटे अज्ञानभावथी जे क्रोध–मान माया–
लोभ–राग–द्वेषादि करतो हतो ते छूटी गया. कारण के ते पदार्थो मळे के न मळे, छेदाय के
भेदाय, आग लागे के चोराई जाय–तोपण मारा चेतनमांथी कांई चाल्युं जतुं नथी, हुं तो
तेना वगर ज जीवुं छुं. ते पदार्थो वगर ज जीव जीवे छे एटले तेमना कारणे कषाय
करवानुं न रह्युं. वळी मरणनी बीक न रही एटले मरण वखते पण चेतनभावरूप समाधि
ज रहेशे, केमके हुं तो चेतन छुं. आत्मा पोता सिवायना बीजा पदार्थो ईंद्रियो,
ईंद्रियविषयो, खोराक, मकान, शरीर के सगासंबंधी ते बधामांथी कांई पोतानुं चेतनपणुं
(जीवन) लेतो नथी, एटले के तेमनाथी आत्मानुं जीवन नथी, तेथी ते बधा पदार्थो
नकामा लागे छे, एटले तेनो मोह रहेतो नथी. हुं मारा चेतनभावथी जीवतो छुं ने ते तो
मारी साथे ज छे–कदी माराथी जुदुं नथी.
आ रीते मारा चेतनभावमां ज रहेतो हुं, अन्य समस्त पदार्थो प्रत्ये साम्यभाव
धारण करुं छुं एटले तेमना प्रत्ये मने समता ज छे. ते बधा मारे माटे मात्र ज्ञेयो ज छे.
हवे अहींथी बीजी गतिमां जवानुं थाय तोपण मारुं मरण नथी, केमके मारो
चेतनभाव मारी साथे ज होवाथी हुं जीवतो ज छुं. अहींथी बीजी गतिमां जतां पण मारुं
मरण नथी पण चेतनमय मारुं जीवन चालु ज छे. –पछी मृत्युनो भय केवो? –असमाधि
केवी?
देवगति वखते दिव्य वैक्रियिक शरीर जीवनी बाजुमां आवशे, त्यारे पण तेनाथीये
जुदो हुं तो अरूपी सूक्ष्म चेतन असंख्यप्रदेशी जीव ज होवाने लीधे त्यांना पदार्थो पण
नकामा ज लागशे, तेमना वडे कांई मारा चेतनभावनी पुष्टि नहि थाय. हुं मारा
चेतनप्रदेशोमां रहेतो, चेतनभावथी ज पुष्ट रहेतो, स्व–भावने वापरतो थयो छुं. अहीं के
देवलोकमां, विदेहमां के मोक्षमां, सर्वत्र मारुं जीवन एक प्रकारनुं छे ने मारा चेतन प्राणथी
ज ते पुष्ट छे. तेथी मारुं जीवन टकाववा कोई क्षेत्र, कोई काळ के कोई संयोगो साथे मने
मतलब नथी. हुं मारा स्व–भावोथी, चेतन सुख वगेरेथी प्रभु थयो छुं.
प्रश्न:– आत्मा स्वालंबी, पोताना चेतन वडे जीवतो साबित थयो; पण ते शाश्वत
होय एटले तेनी सुखमय अस्ति लांबी सदाकाळ टकी रहे–एम सौने गमे छे; माटे
आत्मानुं जीवन शाश्वत छे ते पण समजावो.
उत्तर:– तमे चेतनभाव छो; तमारुं चेतनपणुं तमाराथी जुदुं पडे नहि; तमारुं
चेतनपणुं बीजा अचेतन पदार्थोमां मिश्रण पामे ज नहि.–