(३र९) विचारवान असद्दविचारणा अने अकार्य करतां क्षोभ पामे. (उपदेश छाया)
(३३०) जीव पोताने भूली गयो छे, अने तेथी तेने सत्सुखनो वियोग छे. पोताने
(३३र) सर्व प्राणीमां समद्रष्टि. (पा.र)
(३३३) जींदगी टूंकी छे अने जंजाळ लांबी छे; माटे जंजाळ टूंकी कर तो सुखरूपे जींदगी
(३३प) शुद्ध सच्चिदानंद करुणामय परमेश्वरनी भक्ति ए आजना तारा सुकृत्यनुं
(३३७) वैराग्य ए ज अनंतसुखमां लई जनार उत्कृष्ट भोमियो छे. (प७)
(३३८) आपत्तिकाळे पण धर्मनुं द्रढपणुं त्यागवुं नहीं (७प)
(३३९) विनय करवा योग्य पुरुषोनो यथायोग्य विनय करवो. (७६)
(३४०) गुणीना गुणमां अनुरक्त थाओ. (९८)
(३४१) महापुरुषनां आचरण जोवा करतां तेमनुं अंतःकरण जोवुं ए वधारे परीक्षा
(३४३) एकथी मैत्री करीश नहीं, कर तो आखा जगतथी करजे.