पोते सर्वज्ञ परमात्मा थाय छे. एवा सर्वज्ञ अनादिकाळथी थता आवे छे. विदेहक्षेत्रमां
अत्यारे सीमंधर परमात्मा वगेरे सर्वज्ञ अरिहंत भगवंतो बिराजे छे. तेमनो
दिव्यध्वनि झीलीने, साक्षात् सांभळीने अने अनुभवीने, कुंदकुंदाचार्यदेवे आ समयसार
शास्त्र रच्युं छे. तेमां आ कर्ताकर्म अधिकार द्वारा अलौकिक भेदज्ञान कराव्युं छे.
मारुं कार्य–एम अज्ञानथी मानीने जीव संसारमां रखडी रह्यो छे. चिदानंद स्वरूप हुं छुं,
ज्ञान ज मारुं कार्य छे, ने रागादि परभाव माराथी भिन्न छे–एम बंनेनुं भेदज्ञान
करीने, रागादि साथे कर्ताकर्मपणानी मिथ्याबुद्धिनो जेणे नाश कर्यो अने रागरहित ज्ञान
भावरूप थया, तथा कर्मनो नाश करीने मोक्षपद पाम्या, एवा सिद्धालयमां बिराजमान
सिद्धभगवंतोने मंगळरूपे याद करीने नमस्कार करीए छीए. –शा माटे? के तेमनी जेम
पोताना आत्मामांथी पण परभावो साथे कर्ताकर्मपणानी बुद्धिरूप जे मिथ्यामद, तेनो
नाश करवा माटे; जुओ, आ सिद्धपदनो उपाय. ज्ञान अने रागनी एकताबुद्धि ते
अनंतानुबंधी मद छे, ने ज्ञान अने रागना भेदज्ञान वडे तेनो नाश थईने
सम्यग्दर्शनादि प्रगटे छे. ते मोक्षनो मार्ग छे, ते धर्म छे.